शुक्रवार, 17 जून 2011

محمول (mobile)

اگر یہ مطلوبہ صفحہ نہیں تو دیکھیۓ ، خلیہ اور موبائل۔

ایک جاپانی ادارے کاسیو کا تیار کیا ہوا ایک محمول (mobile) جو کہ شبکہ اور شمارندی تخطیط (graphics) کی سہولیات کا حامل ہے۔


ایک جاپانی ادارے سانیو کا تیار کیا ہوا ایک محمول (mobile) جو کہ سلسلۂ win کے نام کا حامل ہے

چند اھم الفاظ
حمل
محمول
محمول
mobile
موبائل
موبائل فون (لفظی)
ہینڈ فون (لفظی)
خلیہ
ہاتفِ خلیہ
خلوی
ہاتفِ خلوی
منتقلی / carrying
قابل منتقلی /carried
mobile (phone)
محمول
محمول
ہاتفِ متحرک
ہاتفِ دستی
cell
cell phone
cellular
cellular phone


محمول (جمع: محمولات / mobile) کو ہاتفِ خلوی (cell phone) بھی کہا جاتا ہے اور یہ جدید طرزیات کی مدد سے تیار کی جانے والی ایک ایسی برقی اختراع (electronic device) ہوتی ہے کہ جسکے زریعے ہاتف (telephone) کا استعمال آزادانہ اور دوران حرکت و سفر کسی بھی جگہ بلا کسی قابل دید رابطے (یعنی تار وغیرہ کے بغیر) کیا جاسکتا ہے۔ آج کل جو جدید محمولات تیار کیے جارہے ہیں ان میں ناصرف یہ کہ ہاتف اور جال محیط عالم سے روابط (برقی خط اور رزمی بدیل (packet switching) وغیرہ) کی سہولیات میسر ہیں بلکہ اسکے ساتھ ساتھ ان میں تصاویر بھیجنے اور موصول کرنے کیلیۓ کثیرالوسیط پیغامی خدمت (multimedia messaging service) ، عکاسہ (camera) اور منظرہ (video) بنانے کی خصوصیات بھی موجود ہوتی ہیں۔
اس جدید اختراع کے لیۓ ناصرف یہ کہ دنیا بھر کی مختلف زبانوں میں بلکہ خود انگریزی میں متعدد اصطلاحات مستعمل ہوچکی ہیں۔ مثال کے طور پر عربی میں اسکو محمول ، خلیوی ، خلوی اور موبائل وغیرہ کہا جاتا ہے ؛ جاپانی میں اسے کھےتائی (معنی محمول / منقول) کہتے ہیں۔ انگریزی میں بھی اسکے لیۓ ایک سے زائد الفاظ دیکھنے میں آتے ہیں جیسے mobile, mobile phone, cellular وغیرہ۔ ان تمام الفاظ کے اردو متبادلات کے لیۓ سامنے بائیں جانب تصویری خانے میں نیچے دیے گئے چند اہم الفاظ دیکھے جاسکتے ہیں۔

[ترمیم] وجۂ انتخابِ محمول
مندرجہ بالا بیان کے بعد یہ اندازہ ہوجاتا ہے کہ mobile telephone کے لیۓ کوئی ایک اصطلاح یا لفظ اختیار کرنا خاصا مشکل کام ہے اور اس قدر متنوع اصطلاحات میں سے اگر کسی ایک ایسے نام کو چننے کے لیۓ کہا جاۓ کہ جو یک لفظی طور پر اختیار کیا جاسکتا ہو تو پھر محمول کا لفظ ہی مناسب ترین ہوگا کیونکہ پہلی بات تو یہ کہ یہ ایک یک لفظی اصطلاح ہے جو کہ ظاہر ہے کہ عام بول چال میں آسانی سے اختیار کی جاسکتی ہے (جیسا کہ انگریزی میں بھی ہوتا ہے کہ celluar phone کے لیۓ صرف cell اور mobile phone کی جگہ صرف mobile اس لیۓ مستعمل ہوا ہے کہ یہ یک لفظی اور عام بول چال میں آسان ہے اور مفہوم بھی ادا ہو جاتا ہے)۔ محمول کے اختیار کرنے کی دوسری وجہ یہ ہے کہ یہ اصطلاح اردو میں بکثرت استعمال ہونے والے ایک لفظ حمل سے بنی ہے جسکے معنی نقل یا منتقل ہونے والے یعنی portable کے ہوتے ہیں ، portable کے لیۓ ایک اور لفظ منقول بھی استعمال ہوتا ہے لیکن یہ لفظ ، تنہا ، کسی شۓ کے نام کے لیۓ اردو میں کچھ مناسب نہیں لگتا کیونکہ یہ اسم خاص (یا کسی اسم شۓ) کی نسبت فعل کے زیادہ قریب آجاتا ہے۔ حمل (جس سے موبائل کے لیۓ محمول بنا ہے) کا لفظ اردو میں مرکب الفاظ جیسے نقل و حمل میں بھی آتا ہے۔ اور محمول کے انتخاب کی آخری وجہ یہ ہے کہ یہ لفظ صوتی اعتبار سے انگریزی کے عام ہوجانے والے لفظ سے قدرے مماثل ہے کیونکہ اس کی ابتداء بھی انگریزی موبائل کی طرح م سے ہوتی ہے اور انتہاء بھی انگریزی موبائل کی طرح ل پر ہوتی ہے۔

[ترمیم] تاریخ
تاریخی لحاظ سے 1908ء میں میں امریکہ میں درج کرایا جانے والا ایک ایسا پیٹنٹ ملتا ہے کہ جو لاسلکی ہاتف کے کے لیۓ 887357 کے عدد کے تحت موجود ہے [1] ، اسے کنتاکی کے Nathan Stubblefield نے حاصل کیا تھا ، یہ دراصل ایک قسم کی تحریضی (induction) اختراع تھی نا کہ اشعاعی (radiation) ، اسی وجہ سے اسے radio کی پہلی ایجاد نہیں سمجھا جاتا [2] ۔ 1947ء میں بیل تجربہ گاہ کے مہندسین (engineers) نے AT&T پر محمولات (mobiles) کے لیۓ خلیات (cells) متعارف کرواۓ جنہیں بیل تجربہ گاہ ہی نے 1960ء میں مزید ترقی دی۔

मोबाइल फ़ोन

"Cell Phone" redirects here. For the film, see Cell Phone (film).
"Mobiles" redirects here. For the UK New Wave pop band, see The Mobiles.

अनु-फ्लिप मोबाइल फोन के कई उदाहरण.
मोबाइल फ़ोन या मोबाइल (इसे सेलफोन और हाथफोन भी बुलाया जाता है, या सेल फोन , सेलुलर फोन , सेल , वायरलेस फोन , सेलुलर टेलीफोन , मोबाइल टेलीफोन या सेल टेलीफोन ) एक लंबी दूरी का इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसे विशेष बेस स्टेशनों के एक नेटवर्क के आधार पर मोबाइल आवाज या डेटा संचार के लिए उपयोग करते हैं इन्हें सेल साइटों के रूप में जाना जाता है.मोबाइल फोन, टेलीफोन, के मानक आवाज कार्य के अलावा वर्तमान मोबाइल फोन कई अतिरिक्त सेवाओं और उपसाधन का समर्थन कर सकते हैं, जैसे की पाठ संदेश के लिए SMS, ईमेल, इंटरनेट के उपयोग के लिए पैकेट स्विचिंग, गेमिंग, ब्लूटूथ, इन्फ़रा रेड, वीडियो रिकॉर्डर के साथ कैमरे और तस्वीरें और वीडियो भेजने और प्राप्त करने के लिए MMS, MP3 प्लेयर, रेडियो और GPS. अधिकांश वर्तमान मोबाइल फोन, बेस स्टेशनों (सेल साइटों) के एक सेलुलर नेटवर्क से जुड़ते हैं, जो बदले में सार्वजनिक टेलीफोन स्विचित नेटवर्क (PSTN) से जुड़ता है (सॅटॅलाइट फोन इसका अपवाद है).
अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ ने अनुमान लगाया था की 2008 के अंत तक विश्वव्यापी मोबाइल सेलुलर सदस्यताएँ लगभग 410 करोड़ तक पहुंच जाएगा और मोबाइल फोन आर्थिक पिरामिड के निचले स्थर की लोगों पर पहुँच रही है.

इतिहास
History of mobile phones
1908 में, साँचा:US patent एक वायरलेस टेलीफोन को नाथन बी स्टब्ब्लफील्ड मूर्रे, केंटकी के लिए जारी किया गया था.उन्होंने इस पेटेंट से "रेडियो टेलीफोन के निपात" का आवेदन किया था और सीधे सेलुलर टेलीफोन के लिए नहीं जैसा वर्तमान में समझा जाता है.AT&T के बेल लेबोरेटरीज के इंजीनियरों द्वारा मोबाइल फोन बेस स्टेशनों के लिए सेल का आविष्कार 1947 में किया गया था और 1960 के दशक के दौरान बेल लेबोरेटरीज ने इसे आगे विकसित किया.रेडियोफोन का एक लंबा और विविध इतिहास है जो रेगिनाल्ड फेस्सेंडेन के आविष्कार और रेडियो टेलीफोनी के पूरा प्रदर्शन तक जाता है, द्वितीय विश्व युद्ध और 1950 के दशक में सिविल सेवाओं के दौरान सेना में रेडियो टेलीफोनी लिंक का उपयोग होता था, जबकि हाथ के सेलुलर रेडियो उपकरण 1973 के बाद से उपलब्ध हैं.जैसे की हम आज जानते हैं, ओहायो, यूक्लिड के जॉर्ज स्वेइगर्ट को 10 जून, 1969 में पहले वायरलेस फोन का अमेरिका में पेटेंट नंबर 3449750 जारी किया गया था.
1945 में, मोबाइल टेलीफोन की शून्य पीढ़ी (0G) शुरू की गई थी.उस समय की अन्य तकनीकों की तरह, इसमें एकल, शक्तिशाली बेस स्टेशन शामिल था, जो एक व्यापक क्षेत्र को कवर करता था, और प्रत्येक टेलीफोन प्रभावी रूप से एक चैनल को पूरे क्षेत्र पर एकाधिकार करता था.आवृत्ति का पुनः प्रयोग और अंतरण की अवधारणा, तथा अन्य अवधारणाओं की संख्या जो आधुनिक सेल फोन तकनीक के गठन का आधार है, उसको साँचा:US patent में सबसे पहले वर्णित किया गया था, जो चार्ल्स ए. गलैड़न और मार्टिन एच. पैरेलमन को 1 मई, 1979 में जारी किया गया, दोनों ही लास वेगास, नेवाडा के थे और उनके द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार को सौंपा गया था.
यह सभी अवधारणाओं का पहला अवतार है जो मोबाइल टेलीफोनी में अगले बड़े कदम, एनालॉग सेल्युलर टेलीफोन के गठन का आधार बना.इस पेटेंट में शामिल अवधारणाओं को (कम से कम 34 अन्य पेटेंटों में उद्धृत) बाद में कई उपग्रह संचार प्रणाली में विस्तारित किया गया था.बाद में सेलुलर प्रणाली से डिजिटल प्रणाली में अद्यतन, इस पेटेंट को क्रेडिट देता है.
एक मोटोरोला अनुसंधानकर्ता और शासनात्मक,मार्टिन कूपर, को व्यापक रूप से अनु वाहन सेटिंग में हाथ के उपयोग के लिए पहला व्यावहारिक मोबाइल फोन का आविष्कारक माना जाता है.17 अक्टूबर, 1973 में "रेडियो टेलीफोन प्रणाली" में अमेरिका के पेटेंट कार्यालय के द्वारा कूपर को आविष्कारक घोषित किया गया और बाद में अमेरिका पेटेंट 3906166 जारी किया गया था. एक आधुनिक, कुछ भारी वहनीय चोगा का प्रयोग करके, कूपर ने 3 अप्रैल, 1973 को बेल लेबोरेटरीज के एक प्रतिद्वंद्वी डा. योएल एस. एंगेल को एक हाथ के मोबाइल फोन पर पहली कॉल करी.गलती उद्घृत करें: गलत कोड; नाम ना होने वाले संदर्भों में जानकारी देना आवश्यक है।
1979 में, NTT द्वारा जापान में पूरे शहर में पहला वाणिज्यिक सेलुलर नेटवर्क शुरू किया गया था.पूरी तरह से स्वचालित सेलुलर नेटवर्क को पलही बार 1980 के दशक के शुरू से मध्य तक (1G पीढ़ी) शुरू किया गया था.1981 में नॉर्डिक मोबाइल टेलीफोन (NMT) प्रणाली डेनमार्क, फिनलैंड, नार्वे और स्वीडन में शुरू हुई थी.


निजी हाथ-फोन प्रणाली मोबाइलों और जापान में 1997-2003 के आसपास प्रयुक्त हुए मोडेम
1983 में, मोटोरोला ड्य्नाTAC, संयुक्त राज्य अमेरिका में FCC के द्वारा अनुमोदित पहला मोबाइल फोन था.1984 में, बेल लेबोरेटरीज ने आधुनिक व्यावसायिक सेलुलर प्रौद्योगिकी को विकसित किया (ज़्यादातर गलैड़न के, पैरेलमन पेटेंट पर आधारित), जिसने एकाधिक केन्द्र नियंत्रित बेस स्टेशनों (सेल साइटों) को नियोजित किया, प्रत्येक छोटे क्षेत्र (एक सेल) को सेवा उपलब्ध करता था.सेल साइटें इस तरह से स्थापित हुई कि सेल आंशिक रूप से अतिच्छादन करते थे.एक सेलुलर प्रणाली में, एक बेस स्टेशन (सेल साइट) और एक टर्मिनल (फोन) के बीच सिग्नल केवल इतना प्रबल होना चाहिए कि वह इन दोनों के बीच पहुँच सके, ताकि विभिन्न कोशिकाओं में बातचीत को अलग करने के लिए वही चैनल एक साथ इस्तेमाल किया जा सके. सेलुलर प्रणालि को कई प्रौद्योगिकी उछाल के आवश्यक थी, हवाले सहित, जिससे मोबाइल फोन को सेल के बीच कूच करते हुए बातचीत जारी रखने की गुंजायश थी.इस प्रणाली में बेस स्टेशनों और टेलीफोन दोनों में चर संचरण शक्ति शामिल हैं (बेस स्टेशनों द्वारा नियंत्रित), जिसने रेंज और सेल के आकार में भिन्न संभव बनाया.जब इस प्रणाली में विस्तार और क्षमता के निकट पहुंचा, विद्युत पारेषण को कम करने की क्षमता ने नई कोशिकाओं का जुड़ना मुमकिन बनाया, जिसका परिणाम अधिक, छोटे कोशिका और इस प्रकार अधिक क्षमता.इस वृद्धि का सबूत को अभी भी कई पुराने में, लंबे सेल साइट टावरों देखा जा सकता है जिनके टावरों के ऊपरी हिस्से पर कोई एंटीना नहीं था.इन साइट ने मूलतः बड़े कोशिका बनाए, और इसलिए उनके एंटीना ऊंचे टावरों के ऊपर स्थापति थे; टॉवर इस तरह से डिजाइन किए गए थे ताकि प्रणाली का विस्तार हो-सेल का आकार सिकुड़ सकें- एंटीना को कम किया जा सकता है उनके मूल मस्तूल पर सीमा को कम करने के लिए.


एक 1991 GSM मोबाइल फोन
डिजिटल 2G (दूसरी पीढ़ी) सेलुलर प्रौद्योगिकी पर पहला "आधुनिक" नेटवर्क प्रौद्योगिकी 1991 में फिनलैंड में रेडियोलिंजा (अब एलिसा समूह का हिस्सा है) द्वारा शुरू की गई थी GSM मानक पर जिसने मोबाइल दूरसंचार में प्रतियोगिता की शुरूआत को चिह्नित किया जब रेडियोलिंजा ने अवलंबी दूरसंचार फिनलैंड (अब टेलियासोनेरा का हिस्सा है) को चुनौती दी जो एक 1G NMT नेटवर्क चला रहे थे.
मोबाइल फोन पर प्रकट हुई पहली डाटा सेवाएं 1993 में व्यक्ति से व्यक्ति को लिखित संदेश के रूप में शुरू हुई.एक मोबाइल फोन के उपयोग से एक कोका कोला मशीन के लिए पहला परीक्षण भुगतान फिनलैंड में 1998 में किया गया था.स्वीडन में मोबाइल पार्किंग परिक्षण प्रथम व्यावसायिक भुगतान था लेकिन इसे पहली बार नॉर्वे में 1999 में शुरू किया गया था.मिमिक बैंकों और क्रेडिट कार्ड के लिए प्रथम व्यावसायिक भुगतान प्रणाली फिलीपींस में 1999 में शुरू हुई थी मोबाइल ऑपरेटरों ग्लोब और स्मार्ट के साथ.मोबाइल फोन को बेची गई पहली सामग्री थी रिंग टोन, जो 1998 में फिनलैंड में शुरू की गई थी.i-मोड़ मोबाइल फोन पर पहली पूर्ण इंटरनेट सेवा थी जो NTT डोकोमो द्वारा जापान में 1999 में शुरू की गई थी.
सन् 2001 में 3G3G (तीसरी पीढ़ी) की पहली वाणिज्यिक शुरुआत फिर से जापान में NTT डोकोमो के द्वारा WCDMA मानक में की गई थी.
1990 के दशक के शुरू में, मोटोरोला मिक्रोTAC की शुरूआत के बाद, सभी मोबाइल फोन जैकेट जेब में ले जाने के लिए बड़े थे, इसलिए वे आम तौर पर वाहनों में कार फोन के रूप में स्थापित किए गए.डिजिटल घटकों के लघुरूप और अधिक परिष्कृत बैटरी के विकास के साथ, मोबाइल फोन छोटे और हलके हो गए.

हैंडसेट
बॉक्स के साथ एक नोकिया फोन.


मोबाइल फ़ोन के अंदर एक मुद्रित सर्किट बोर्ड
मोबाइल फोनों की कई श्रेणियाँ हैं, मूलभूत फोन से लेकर लाक्षणिक फोन तक जैसे संगीत फोन और कैमरा फोन और स्मार्टफोन तक.नोकिया 9000 कम्मुनिकेटर पहला स्मार्टफोन था जो 1996 में आया, जिसमें उस समय के मोबाइल फोन के मुकाबले में PDA कार्यशीलता को शामिल किया गया था.लघुरूपकरण तथा माइक्रोचिप की प्रसंस्करण शक्ति की वृद्धि ने फोन में जोड़ने के लिए अधिक सुविधाएँ सक्षम करी, स्मार्टफोन की अवधारणा को विकसित किया, और पञ्च साल पहले जो एक उच्च स्मार्टफोन था, वो आज एक मानक फोन है.कई फोन श्रृंखला एक बाजार खंड के लिए शुरू किए गए थे, जैसे की RIM ब्लैकबेरी केंद्रित / कॉर्पोरेट ग्राहक के ईमेल की जरूरत के उद्यम पर ध्यान देता है; सोनीएरिकसन वॉकमेन श्रृंखला के संगीतफोन और साइबरशोट श्रृंखला के कैमराफोन; नोकिया N-सीरीज के मल्टीमीडिया फोन; और एप्पल iफ़ोन जो वेब का उपयोग और मल्टीमीडिया क्षमता पूर्ण-विशेषताएँ प्रदान करता है.

विशेषताएँ
Mobile phone features, Smartphone, और iPhone
मोबाइल फोन में अक्सर पाठ संदेश भेजने और आवाज फोन फीचर के अलावा कए फीचर होते हैं, जिसमें शामिल है- कॉल रजिस्टर, GPS नेविगेशन, संगीत (MP3) और वीडियो (MP4) प्लेबैक, RDS रेडियो रिसीवर, अलार्म, ज्ञापन और दस्तावेज रिकॉर्डिंग, निजी आयोजक और व्यक्तिगत डिजिटल सहायक प्रकार्य, स्ट्रीमिंग वीडियो देखने की क्षमता या बाद में देखने के लिए वीडियो डाउनलोड, वीडियो काल्लिंग, निर्मित कैमरे (3.2+ Mpx) और कैमकोर्डर (वीडियो रिकॉर्डिंग), ऑटोफोकस और फ़्लैश के साथ, रिंगटोन, खेल, पट, स्मृति कार्ड पाठक (SD), USB (2.0), अवरक्त, ब्लूटूथ (2.0) और WiFi कनेक्टिविटी, त्वरित संदेश, इंटरनेट ईमेल और ब्राउज़िंग और PC के लिए एक वायरलेस मॉडेम के रूप में सेवा, और जल्दी ही यह ऑनलाइन खेल और अन्य उच्च गुणवत्ता खेल के लिए सांत्वना के रूप में काम करेंगे.
कुछ फोन में स्पर्शस्क्रीन शामिल हैं.
मोइबाइल सेवाओ की सबसे बड़ी श्रेणियाँ हैं संगीत,तस्वीर डाउनलोड, वीडियो गेम, वयस्क मनोरंजन, जुआ, वीडियो/TV.
नोकिया और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय एक मोड़ने योग्य सेलफ़ोन का दिखावा कर रहे हैं जिसको मोर्फ कहा जाता है. [४]

अनुप्रयोग
स्पर्शस्क्रीन सुविधा के साथ एक फोन.


मोबाइल फोन ग्राहकों प्रति 100 निवासि 1997-2007
मोबाइल फ़ोन पर सबसे सामान्य प्रयुक्त डाटा अनुप्रयोग है SMS लिखित संदेश, जिसमें मोबाइल फोन प्रयोक्ताओं के 74% सक्रिय उपयोगकर्ताओं में से हैं (2007 के अंत में कुल 3.3 बिलियन में से 2.4 बिलियन से अधिक)समस लिखित संदेश का मूल्य 2007 के वार्षिक राजस्व में 100 बिलियन डॉलर से अधिक था और मोबाइल फ़ोन उपयोगकर्ताओं की कुल संख्या के आधार पर संदेश भेजने का व्यापक औसत 2.6 SMS प्रति दिन प्रति व्यक्ति है.(स्रोत इनफोर्मा 2007).UK में 1992 में एक कंप्यूटर से एक मोबाइल फ़ोन को पहला SMS लिखित संदेश भेजा गया था, जबकि 1993 में फिनलैंड में पहला व्यक्ति से व्यक्ति को फ़ोन से फ़ोन SMS भेजा गया था.
2007 में मोबाइल फोन के द्वारा प्रयोग किये जाने वाले अन्य अनु SMS डाटा सेवाओं की क़ीमत 31 अरब डॉलर थी और यह मोबाइल संगीत, लोगो डाउनलोड और चित्र, गेम, जुआ, वयस्क मनोरंजन और विज्ञापन द्वारा नेतृत्व किया गया (स्रोत: Informa 2007).पहला डाऊनलोड योग्य मोबाईल सामग्री को फिनलैंड में 1998 में एक मोबाइल फ़ोन को बेचा गया था, जब रेडियोलिंजा (अब एलिसा) ने डाऊनलोड योग्य रिंगटोन सेवा शुरू करी थी.1999 में जापानी मोबाइल ऑपरेटर NTT डोकोमो ने अपनी मोबाइल इंटरनेट सेवा, i-मोड़ की शुरुआत करी, जो आज दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल इंटरनेट सेवा है और लगभग गूगल की वार्षिक राजस्व जितनी बड़ी.
पहली मोबाइल समाचार सेवा, जो SMS के माध्यम से उपलब्ध कराई गई, वह फिनलेंड में 2000 में शुरू की गई थी.मोबाइल समाचार सेवाएँ कई संगठनों के साथ SMS से "माँग-प्रदान" समाचार सेवाओं के द्वारा बड़ रहे हैं. कुछ SMS द्वारा "पल की" खबर भी प्रदान करते हैं. मोबाइल टेलीफोनी सक्रियता सुविधा भी प्रधान करती है और रायटर्स और याहू! द्वारा खोज की हुई सार्वजनिक पत्रकारिता [५] और छोटे स्वतंत्र समाचार कंपनियाँ जैसे की श्रीलंका में जैस्मीन समाचार.
मोनस्टर.कॉम जैसी कम्पनियों ने नौकरी की खोज और कैरियर पर सलाह के लिए मोबाइल सेवा प्रदान करना शुरू कर दिया है.उपभोक्ता अनुप्रयोग वृद्धि पर है और इनमें सब कुछ शामिल है, स्थानीय गतिविधियों और घटनाओं पर जानकारी गाईड से लेकर, मोबाइल कूपन और डिस्काउंट भेंट तक, जो किसी भी खरीद पर पैसे बचाने के लिए उपयोग कर सकते हैं.मोबाइल फोनों के लिए वेब साइटों के निर्माण हेतु औजार अधिक उपलब्ध हो रहे हैं.
1998 में फिनलैंड में मोबाइल भुगतान की पहली कोशिश की गई थी, जब एस्पो में दो कोका-कोला विक्रय मशीन, SMS के भुगतान के साथ काम करने में सक्षम थे.अंततः यह विचार फैला और 1999 में फिलीपींस ने मोबाइल ऑपरेटर ग्लोब और स्मार्ट पर पहली व्यापारिक मोबाइल भुगतान प्रणाली की शुरुआत करी.आज मोबाइल भुगतान, मोबाइल बैंकिंग से मोबाइल क्रेडिट कार्ड से मोबाइल व्यापार तक, एशिया और अफ्रीका और चुने हुए यूरोपीय बाजारों में बहुत ही व्यापक रूप से प्रयोग किए जाते हैं. उदाहरण के लिए, फिलीपींस में यह असामान्य नहीं है की किसी की पूरी तनख्वाह का मोबाइल बिल के भुगतान में किया गया हो.केन्या में एक मोबाइल बैंकिंग खाते से दूसरे में धन के हस्तांतरण की सीमा 10 लाख अमरीकी डॉलर है.भारत में, उपयोगिता बिल को मोबाईल से चुकाने पर 5% डिस्काउंट मिलता है.एस्टोनिया में सरकार ने अपराधियों को नकद पार्किंग शुल्क लेते हुए पाया, इसलिए सरकार ने घोषित किया कि पार्किंग के लिए केवल SMS के माध्यम से ही मोबाइल भुगतान मान्य होगा और आज एस्टोनिया में पूर्ण पार्किंग शुल्क मोबाइल के द्वारा नियंत्रित किया जाता है और इस क्रिया में से अपराध ख़त्म हो चूका है.
मोबाईल अनुप्रयोगों का विकास छः M (पहले पाँच M) सेवा-विकास सिद्धांत के उपयोग से हुआ है, जो नोकिया के जो बर्रेट और मोटोरोला के पॉल गोल्डिंग के साथ लेखक टोमी अहोनेन के द्वारा निर्मित किया गया था.यह छः M हैं- चलन (स्थान ), पल (समय ), मै (निजीकरण), बहु-उपयोगकर्ता (समुदाय उपयोगकर्ता ), धन (भुगतान ) और मशीन (स्वचालन).छः M / पाँच M सिद्धांत का उपयोग टेलीकोम अनुप्रयोग साहित्य में व्यापक रूप से और अधिकांश मुख्य उद्योगों के द्वारा किया जाता है.UMTS के लिए सेवाएँ , इस सिद्धांत पर चर्चा करने वाली पहली किताब थी जो 2002 में अहोनेन और बर्रेट द्वारा लिखी गई थी.

शक्ति आपूर्ति


युगांडा में मोबाइल फोन चार्ज करने की सुविधा

आमतौर पर मोबाइल फोन बैटरी से ऊर्जा प्राप्त करते हैं, जिसको एक USB पोर्ट द्वारा, पोर्टेबल बैटरी से, बिजली की मुख्य तार से या गाडी में एक अनुकूलक का उपयोग करके सिगरेट लाइटर गर्तिका से (अक्सर बैटरी चार्जर या दीवार मस्सा बुलाया जाता है) या एक सौर पैनल से या एक डाईनमो से (जो फोन को लगाने के लिए एक USB पोर्ट का उपयोग कर सकता है) पुनर्भरण किया जा सकता है.
17 फ़रवरी 2009 को, GSM एसोसिएशन ने घोषणा करी [६] कि वे मोबाइल फोन के लिए एक मानक चार्जर पर सहमत हुए हैं. 17 निर्माता, जिसमें नोकिया, सैमसंग और मोटोरोला शामिल थे, उनके द्वारा अपनाया जाने वाला मानक चार्जर माइक्रो USB संबंधक होना चाहिए (कई मीडिया रिपोर्टों ने ग़लती से इसे मिनी-USB बताया).नए चार्जर, मौजूदा चार्जरों से अधिक योग्य होंगे. सभी फोनों के लिए एक मानक चार्जर होने का मतलब है कि निर्माताओं को अब हर नए फ़ोन के लिए एक चार्जर की आपूर्ति नहीं करनी पड़ेगी.
पूर्व में, निकल धातु-हाइड्राइड, मोबाइल फोन की बेट्रियों का सबसे सामान्य रूप था, क्योंकि उनका आकार और वजन कम होता है.लीथियम-आयन बेट्रियां कभी कभी उपयोग किए जाते हैं, क्योंकि वे हल्की होती हैं और निकल धातु-हाइड्राइड बेट्रियों की तरह इनमें वोल्टेज अवनति नहीं होती है.कई मोबाइल फ़ोन निर्माताओं ने पुरानी लीथियम-आयन के विपरीत लीथियम-बहुलक बेट्रियों का उपयोग शुरू कर दिया है, बहुत कम वजन और घन के आलावा किसी भी अन्य आकार में बनाना ही इसका मुख्य लाभ है.मोबाइल फ़ोन निर्माता, सौर सेल सहित, ऊर्जा के विकल्पी स्रोतों पर प्रयोग कर रहे हैं.

सिम कार्ड

Subscriber Identity Module


आम मोबाइल फोन सिम कार्ड
बैटरी के अलावा, GSM मोबाइल फोन को काम करने के लिए एक छोटी सी माइक्रोचिप की आवश्यकता होती है, जिसे ग्राहक पहचान मापदंड या सिम कार्ड कहा जाता है.लगभग एक डाक टिकट के आकर का सिम कार्ड सामान्यतया बेटरी के नीचे यूनिट के पीछे रखा जाता है, और (जब ठीक प्रकार से सक्रिय होता है) फोन का विन्यास डेटा तथा फोन के बारे में जानकारी को संग्रहित करता है, जैसे उपयोगकर्ता कौन सा आह्वान योजना इस्तेमाल कर रहा है.जब ग्राहक सिम कार्ड को हटा देता है, तो इसे पुन: दूसरे फोन में डाल कर सामान्य रूप से उपयोग किया जा सकता है.
प्रत्येक सिम कार्ड को एक अद्वितीय संख्यात्मक पहचानकर्ता के उपयोग के द्वारा सक्रिय किया जाता है; एक बार सक्रिय हो जाने पर, पहचानकर्ता को लोक कर दिया जाता है और सक्रिय नेटवर्क में स्थायी रूप से कार्ड आलिंगन हो जाता है.इस कारण से, अधिकांश खुदरा विक्रेता एक सक्रिय किए गए सिम कार्ड को वापिस लेने से इनकार कर देते हैं.
वे सेल फोन जो सिम कार्ड का उपयोग नहीं करते हैं, उनकी मेमोरी में डेटा क्रमादेशित होता है.एक विशेष आंकिक क्रम का उपयोग करके इस डेटा का उपयोग किया जाता है है, "NAM" को "नाम" या नंबर क्रमादेश सूची के रूप में उपयोग करने के लिए.यहाँ से, कोई भी जानकारी दाल सकता है जैसे की अपने फ़ोन के लिए एक नंबर, नए सेवा प्रदाता का नंबर, नए आपात का नंबर, उनके प्रमाणीकरण कुंजी या A-कुंजी कोड का परिवर्तन, और उनके पसंदीदा घूमने के लिए सूची या पर्ल. हालांकि, गलती से उनके फोन को निष्क्रिय या नेटवर्क से हटाने से किसी को रोकने के लिए, सेवा प्रदाता इस डाटा पर एक मास्टर सहायक बंद या MSL गलाते हैं.
MSL यह सुनिश्चित करता है कि सेवा प्रदाता ख़रीदे गए या पट्टे पर लिए गए फोन के लिए भुगतान प्राप्त करें.उदाहरण के लिए, मोटोरोला RAZR V9C की कीमत CAD $500 से अधिक है.लगभग $200 में, वाहक के आधार पर, आपको एक मिल सकती है. अन्तर को ग्राहक के द्वारा मासिक बिल के रूप में चुकाया जाता है.यदि ग्राहक ने एक MSL का उपयोग नहीं किया, तो वे $300 - $400 का अंतर खो देंगे जो उनके मासिक बिल में भुगतान किया जाता है, क्यूंकि कुछ ग्राहक मौजूदा सेवा को रद्द करके दूसरे वाहक के पास फ़ोन ले जाते हैं.
MSL सिम पर लागू होता है सिर्फ इसलिए एक बार अनुबंध पूरा होने के बाद MSL फिर भी सिम पर लागू रहता है. फोन हालांकि, शुरू में भी सेवा प्रदाता MSL में निर्माता द्वारा बंद किया जाता है. यह ताला निष्क्रिय किया जा सकता है ताकि यह फोन अन्य सेवा प्रदाता के सिम कार्ड का उपयोग कर सके.अमेरिका के बाहर खरीदे गए फोन खुले फ़ोन हैं क्योंकि वहाँ ज्यादातर फोन एक दूसरे के निकटता में कई सेवा प्रदाता या अतिव्यापी व्याप्ति है.एक फोन का ताला खोलने का लागत भिन्न होता है लेकिन आमतौर पर बहुत ही सस्ता और कभी कभी स्वतंत्र फोन विक्रेताओं द्वारा प्रदान किया जाता है.
सामान्य व्याप्ति क्षेत्र के बाहर MSL सेवा प्रदाता के उपयोग में उच्च लागत की वजह से एक खुला फोन यात्रियों के लिए बेहद उपयोगी होता है.यह कभी कभी सामान्य सेवा क्षेत्र में विदेशी के रूप एक बंद फोन के उपयोग करने के 10 गुना मूल्य का हो सकता है, रियायती दरों के साथ भी.T-मोबाइल अपने खाता धारकों को 90 दिनों के अच्छे स्थिति के बाद एक सिम खोलने का कोड प्रदान करते हैं FAQ के अनुसार.
उदाहरण के लिए, जमईका में, एक AT&T ग्राहक भुनाई अंतरराष्ट्रीय सेवा के लिए $1.65 प्रति मिनट का अतिरिक्त भुगतान कर सकता है जबकि एक B-मोबाइल (जमईका) ग्राहक को समान अंतरराष्ट्रीय सेवा के लिए $0.20 प्रति मिनट का भुगतान करना पड़ेगा.कुछ सेवा प्रदाता अपने बिक्री को अंतरराष्ट्रीय बिक्री पर केन्द्रित करते हैं जबकि कुछ क्षेत्रीय बिक्री पर केन्द्रित करते हैं.उदाहरण के लिए, जमईका के राष्ट्रीय फोन C&W (केबल और बेतार) कंपनी की जगह वही B-मोबाइल ग्राहक स्थानीय कॉलों पर कम लेकिन अंतर्राष्ट्रीय कॉल पर अधिक भुगतान करेगा.यह मूल्य अंतर मुख्यतः मुद्रा परिवर्तन के कारण होता है क्योंकि सिम की खरीद स्थानीय मुद्रा में होती है.अमेरिका में, इस प्रकार की सेवाओं में प्रतियोगिता मौजूद नहीं है क्योंकि कुछ प्रमुख सेवा प्रदाता भुगतान-जब-तुम-जाओ की सेवा प्रस्ताव नहीं करती है.[भुगतान-जब-तुम-जाओ आवश्यकताएँ संदर्भ, T-मोबाइल अफवाह, Verizon एक को प्रदान, AT&T 12/2008 तक नहीं]

बाज़ार


Q3/2008 में मोबाइल फोन विनिर्माताओं के बाजार का हिस्सा
Q3/2008 में, Nokia दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल फोन निर्माता थी, 39,4% के वैश्विक उपकर्ण बाजार हिस्सेदारी के साथ, इसके बाद Samsung (17.3%), Sony Ericsson (8.6%), Motorola (8.5%) और LG Electronics (7.7 %).उस समय बेचे गए मोबाइल फोन में से 80% से ऊपर इन निर्माताओं ने बेचा है.
अन्य निर्माताओं में शामिल हैं Apple Inc., Audiovox (now UTStarcom), Benefon, BenQ-Siemens, CECT, High Tech Computer Corporation (HTC), Fujitsu, Kyocera, Mitsubishi Electric, NEC, Neonode, Panasonic, Palm, Matsushita, Pantech Wireless Inc., Philips, Qualcomm Inc., Research in Motion Ltd.(RIM), Sagem, Sanyo, Sharp, Siemens, Sendo, Sierra Wireless, SK Teletech, T&A Alcatel, Huawei, Trium and Toshiba.[तथ्य वांछित] मोबाइल फोन से संबंधित (लेकिन अलग से) विशेषज्ञ संचार प्रणालियाँ भी हैं

मीडिया
1998 में मोबाइल फ़ोन एक मीडिया चैनल बन गया जब फिनलैंड में रेडियोलिंजा द्वारा पहली रिंग टोन बेचा गया था.जल्द ही अन्य मीडिया अवयव प्रकट हुई जैसे की समाचार, वीडियो गेम, चुटकुले, जनमपत्री, TV सामग्री और विज्ञापन.2006 में मोबाइल फोन भुगतान मीडिया अवयव की कुल कीमत ने इंटरनेट भुगतान मीडिया अवयव को पार कर दिया और इसकी कीमत 3100 करोड़ डॉलर थी (स्रोत Informa 2007).2007 में फोन पर संगीत का मूल्य 930 करोड़ डॉलर थी और खेल की कीमत 500 करोड़ डॉलर थी (स्रोत Netsize Guide 2008).
मोबाइल फोन को अक्सर चौथा चित्रपट कहा जाता है (यदि पहले तीन के रूप में सिनेमा, TV और PC चित्रपट को गिना जाए) या तीसरा चित्रपट (यदि केवल TV और PC चित्रपट को गिना जाए).इसे मास मीडिया में सातवाँ भी कहा जाता है (पहले छः में प्रिंट, रिकॉर्डिंग, सिनेमा, रेडियो, TV और इंटरनेट के साथ).मोबाइल की शुरूआती अवयव हैं विरासत मीडिया की प्रतियाँ, जैसे की बैनर विज्ञापन या TV समाचार उजागर के वीडियो कर्तन.हाल ही में, मोबाईल के लिए अद्वितीय अवयवों का विकास हुआ है, रिंग टोन और वापस रिंग करने वाले टोन से लेकर "मोबीसोड" तक, वीडियो अवयव जो विशेष रूप से मोबाइल फोनों के लिए तैयार की गई है.
मोबाइल फोन पर मीडिया के आगमन से अल्फा उपयोगकर्ता या केन्द्रों का पता लगाने और उन्हें पहचानने का अवसर उत्पन्न हुआ है, जो किसी भी सामाजिक समुदाय के सबसे अधिक प्रभावी सदस्य हैं.AMF वेंचर्स ने 2007 में तीन मास मीडिया की सापेक्ष सटीकता का मापन किया और पाया कि मोबाइल पर दर्शक का आंकना, इंटरनेट से ठीक नो गुना और TV से ठीक 90 गुना अधिक सटीक था .
शब्दावली
संबंधित अनु-मोबाइल-फोन प्रणाली
गाडी फोन
एक प्रकार का टेलीफोन जो एक वाहन में स्थायी रूप से रखा जाता है, इनमें अक्सर अधिक शक्तिशाली प्रेषित होता है, एक बाहरी ऐन्टेना और हाथों के विमुक्त के लिए ध्वनि-विस्तारक यंत्र होता है. वे आमतौर पर नियमित मोबाइल फोन की तरह एक ही नेटवर्क से जुड़ते हैं.

ताररहित टेलीफोन (वहनीय फोन)
ताररहित फोने ऐसे टेलीफोन हैं जो एक तार युक्त चोगा के स्थान पर एक या अधिक रेडियो हेंडसेट का उपयोग करते हैं.यह चोगा बिना तार के एक बेस स्टेशन से जुड़ता है, जो बदले में कॉल करने के लिए एक परंपरागत लैण्ड लाइन के साथ जुड़ता है.मोबाइल फोन के विपरीत, ताररहित फोन, निजी बेस स्टेशनों का उपयोग करते हैं (जो लैण्ड लाइन ग्राहक का होता है ), और जो बांटा नहीं जाता है.

व्यावसायिक मोबाइल रेडियो
उन्नत व्यावसायिक मोबाइल रेडियो प्रणाली मोबाइल फोन प्रणाली के बहुत समान हो सकती है.विशेष रूप से, IDEN मानक को एक निजी ट्रंक रेडियो प्रणाली और कई बड़े सार्वजनिक प्रदाताओं के लिए प्रौद्योगिकी, दोनों के रूप में उपयोग किया गया है.सार्वजनिक मोबाइल नेटवर्क को लागू करने के लिए, TETRA, एक यूरोपीय डिजिटल PMR मानक, का उपयोग करने का समान प्रयास किया गया है.

रेडियो फोन
यह शब्द ऐसे रेडियो के लिए है जो टेलीफोन नेटवर्क में जुड़ सकता है.ये फोन शायद मोबाइल ना हों; उदाहरण के लिए, उन्हें मुख्य तार बिजली की आपूर्ति कि जरुरत होती है, उन्हें एक PSTN फोन स्थापित करने के लिए एक मानव ऑपरेटर के सहायता की आवश्यकता हो सकती है.

उपग्रह फ़ोन
इस प्रकार का फोन प्रत्यक्ष रूप से एक कृत्रिम उपग्रह के साथ संचार करता है, जो फ़िर बेस स्टेशन को या अन्य उपग्रह फोन को कॉल प्रसारण करता है.एक मात्र उपग्रह, स्थानीय बेस स्टेशन की तुलना में ज्यादा बड़े क्षेत्र के लिए व्याप्ति उपलब्ध करा सकता है.क्यूंकि उपग्रह फोन महंगे होते हैं, उनका इस्तेमाल आमतौर पर दूरदराज के इलाकों तक सीमित है, जहाँ कोई मोबाइल फोन व्याप्ति नहीं होती है, जैसे की पहाड़ पर्वतारोही, खुले समुद्र में मल्लाह और आपदा स्थलों पर समाचार पत्रकारों.
उपयोग
सेल-फोन उपन्यास पहली साहित्यिक शैली है, जो सेल्युलर युग से पाठ संदेश के माध्यम से वेबसाइट से उभरी है, जो की पूरी तरह उपन्यास को इकट्ठा करती है. आभासी ऑनलाइन कंप्यूटर खेल में, पाठक खुद को कहानी में पहले व्यक्ति में रख सकते हैं.सेल फोन उपन्यास, प्रत्येक व्यक्ति पाठक के लिए एक व्यक्तिगत जगह बनाते हैं. पॉल लेविनसन ने, मूव (2004) की जानकारी में, कहा की "... आजकल, एक लेखक कहीं भी उतनी ही आसानी से लिख सकता है जितनी आसानी से एक पाठक पढ़ सकता है" और वे "ना केवल व्यक्तिगत हैं बल्कि वहनीय भी हैं".

गोपनीयता
सेल फोन के साथ कई गोपनीयता के मुद्दे जुड़े हैं, और नियमित रूप से सरकारों द्वारा निगरानी करने के लिए उपयोग किए जाते हैं.
U.K और संयुक्त राज्य अमेरिका में कानून प्रवर्तन और खुफिया सेवाओं के पास प्रौद्योगिकी है जो सेल फोन में माइक्रोफोन को दूर से सक्रिय करता है ताकि फोन रखने वाले व्यक्ति के आसपास का वार्तालाप सुन सकें.
सामान्यतः मोबाइल फोन भी स्थान डेटा एकत्र करने के लिए उपयोग किया जाता है. एक मोबाइल फोन की भौगोलिक स्थिति को आसानी से निर्धारित किया जा सकता है (चाहे वह इस्तेमाल हो या नहीं), मल्टीलैटरेशन कहलाने वाली एक तकनीक का उपयोग करते हुए जिससे एक संकेत को सेल फोन से फोन के मालिक के पास के कई सेल टावरों के प्रत्येक तक यात्रा करने में समय के अंतर की गणना होती है.

स्वास्थ्य ख़तरा
Mobile phone radiation and health
क्योंकि मोबाइल फोन विद्युत चुम्बकीय विकिरण फेंकता है, तो जब लम्बे समय की अवधि के लिए उपयोग किया जाए तो कैंसर के जोखिम के बारे में चिंताओं को उठाया गया है. यह विकिरण अनु-योण है, लेकिन स्थानीयकृत गर्मी हो सकती है.वैज्ञानिक और चिकित्सा समुदाय का मौजूदा सर्वसम्मति राय यह है कि सेलुलर फोन या बेस स्टेशनों के कारण स्वास्थ्य प्रभाव असंभव है.
सेलुलर फोन व्यापक रूप से केवल अपेक्षाकृत हाल ही में उपलब्ध हुए हैं, जबकि ट्यूमर के विकास में कई दशक लग सकते हैं . इस कारण से, कुछ स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि एहतियाती सिद्धांत निरीक्षण किया जाए, जिसमें सिफारिश की गई है की सिर तक उपयोग और निकटता कम होनी चाहिए, विशेष रूप से बच्चों द्वारा.
विवादास्पद अनिर्मित सामग्री
मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में उच्च गुणवत्ता संधारित्र होते हैं, जिसमें टैंटालम शामिल होता है.टैंटालम का एक प्रमुख स्रोत कोल्टन की कच्ची धातु है जो लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो में गृह युद्ध कोष के लिए पैसे लाने के लिए कुछ अवैध खानों से विद्रोही गुटों द्वारा संचालित है. एक ठेठ मोबाइल फोन में 40 मिलीग्राम टैंटालम होता है.ऑस्ट्रेलिया के पर्थ के पास पिलबरा क्षेत्र के वोडगिना के खान में टैंटालम का एक संघर्ष-मुक्त स्रोत है.

रविवार, 12 जून 2011

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005

सूचना का अधिकार अधिनियम (Right to Information Act) भारत के संसद द्वारा पारित एक कानून है जो 12 अक्तूबर, 2005 को लागू हुआ (15 जून, 2005 को इसके कानून बनने के 120 वें दिन)। भारत में भ्रटाचार को रोकने और समाप्त करने के लिये इसे बहुत ही प्रभावी कदम बताया जाता है। इस नियम के द्वारा भारत के सभी नागरिकों को सरकारी रेकार्डों और प्रपत्रों में दर्ज सूचना को देखने और उसे प्राप्त करने का अधिकार प्रदान किया गया है। जम्मू एवं काश्मीर को छोडकर भारत के सभी भागों में यह अधिनियम लागू है।

सूचना के अधिकार पर बारम्बार पूछे जाने वाले प्रश्न

सूचना का अधिकार क्या है?
संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत सूचना का अधिकार मौलिक अधिकारों का एक भाग है. अनुच्छेद 19(1) के अनुसार प्रत्येक नागरिक को बोलने व अभिव्यक्ति का अधिकार है. 1976 में सर्वोच्च न्यायालय ने "राज नारायण विरुद्ध उत्तर प्रदेश सरकार" मामले में कहा है कि लोग कह और अभिव्यक्त नहीं कर सकते जब तक कि वो न जानें. इसी कारण सूचना का अधिकार अनुच्छेद 19 में छुपा है. इसी मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने आगे कहा कि भारत एक लोकतंत्र है. लोग मालिक हैं. इसलिए लोगों को यह जानने का अधिकार है कि सरकारें जो उनकी सेवा के लिए हैं, क्या कर रहीं हैं? व प्रत्येक नागरिक कर/ टैक्स देता है. यहाँ तक कि एक गली में भीख मांगने वाला भिखारी भी टैक्स देता है जब वो बाज़ार से साबुन खरीदता है.(बिक्री कर, उत्पाद शुल्क आदि के रूप में). नागरिकों के पास इस प्रकार यह जानने का अधिकार है कि उनका धन किस प्रकार खर्च हो रहा है. इन तीन सिद्धांतों को सर्वोच्च न्यायालय ने रखा कि सूचना का अधिकार हमारे मौलिक अधिकारों का एक हिस्सा हैं.

यदि आरटीआई एक मौलिक अधिकार है, तो हमें यह अधिकार देने के लिए एक कानून की आवश्यकता क्यों है?
ऐसा इसलिए है क्योंकि यदि आप किसी सरकारी विभाग में जाकर किसी अधिकारी से कहते हैं, "आरटीआई मेरा मौलिक अधिकार है, और मैं इस देश का मालिक हूँ. इसलिए मुझे आप कृपया अपनी फाइलें दिखायिए", वह ऐसा नहीं करेगा. व संभवतः वह आपको अपने कमरे से निकाल देगा. इसलिए हमें एक ऐसे तंत्र या प्रक्रिया की आवश्यकता है जिसके तहत हम अपने इस अधिकार का प्रयोग कर सकें. सूचना का अधिकार 2005, जो 13 अक्टूबर 2005 को लागू हुआ हमें वह तंत्र प्रदान करता है. इस प्रकार सूचना का अधिकार हमें कोई नया अधिकार नहीं देता. यह केवल उस प्रक्रिया का उल्लेख करता है कि हम कैसे सूचना मांगें, कहाँ से मांगे, कितना शुल्क दें आदि.

सूचना का अधिकार कब लागू हुआ?
केंद्रीय सूचना का अधिकार 12 अक्टूबर 2005 को लागू हुआ. हालांकि 9 राज्य सरकारें पहले ही राज्य कानून पारित कर चुकीं थीं. ये थीं: जम्मू कश्मीर, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, असम और गोवा.

सूचना के अधिकार के अर्न्तगत कौन से अधिकार आते हैं?
सूचना का अधिकार 2005 प्रत्येक नागरिक को शक्ति प्रदान करता है कि वो:

सरकार से कुछ भी पूछे या कोई भी सूचना मांगे.
किसी भी सरकारी निर्णय की प्रति ले.
किसी भी सरकारी दस्तावेज का निरीक्षण करे.
किसी भी सरकारी कार्य का निरीक्षण करे.
किसी भी सरकारी कार्य के पदार्थों के नमूने ले.
सूचना के अधिकार के अर्न्तगत कौन से अधिकार आते हैं?
केन्द्रीय कानून जम्मू कश्मीर राज्य के अतिरिक्त पूरे देश पर लागू होता है. सभी इकाइयां जो संविधान, या अन्य कानून या किसी सरकारी अधिसूचना के अधीन बनी हैं या सभी इकाइयां जिनमें गैर सरकारी संगठन शामिल हैं जो सरकार के हों, सरकार द्वारा नियंत्रित या वित्त- पोषित किये जाते हों.

"वित्त पोषित" क्या है?
इसकी परिभाषा न ही सूचना का अधिकार कानून और न ही किसी अन्य कानून में दी गयी है. इसलिए यह मुद्दा समय के साथ शायद किसी न्यायालय के आदेश द्वारा ही सुलझ जायेगा.

क्या निजी इकाइयां सूचना के अधिकार के अर्न्तगत आती हैं?
सभी निजी इकाइयां, जोकि सरकार की हैं, सरकार द्वारा नियंत्रित या वित्त- पोषित की जाती हैं सीधे ही इसके अर्न्तगत आती हैं. अन्य अप्रत्यक्ष रूप से इसके अर्न्तगत आती हैं. अर्थात, यदि कोई सरकारी विभाग किसी निजी इकाई से किसी अन्य कानून के तहत सूचना ले सकता हो तो वह सूचना कोई नागरिक सूचना के अधिकार के अर्न्तगत उस सरकारी विभाग से ले सकता है.

क्या सरकारी दस्तावेज गोपनीयता कानून 1923 सूचना के अधिकार में बाधा नहीं है?
नहीं, सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अनुच्छेद 22 के अनुसार सूचना का अधिकार कानून सभी मौजूदा कानूनों का स्थान ले लेगा.

क्या पीआईओ सूचना देने से मना कर सकता है?
एक पीआईओ सूचना देने से मना उन 11 विषयों के लिए कर सकता है जो सूचना का अधिकार अधिनियम के अनुच्छेद 8 में दिए गए हैं. इनमें विदेशी सरकारों से प्राप्त गोपनीय सूचना, देश की सुरक्षा, रणनीतिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हितों की दृष्टि से हानिकारक सूचना, विधायिका के विशेषाधिकारों का उल्लंघन करने वाली सूचनाएं आदि. सूचना का अधिकार अधिनियम की दूसरी अनुसूची में उन 18 अभिकरणों की सूची दी गयी है जिन पर ये लागू नहीं होता. हालांकि उन्हें भी वो सूचनाएं देनी होंगी जो भ्रष्टाचार के आरोपों व मानवाधिकारों के उल्लंघन से सम्बंधित हों.

क्या अधिनियम विभक्त सूचना के लिए कहता है?
हाँ, सूचना का अधिकार अधिनियम के दसवें अनुभाग के अंतर्गत दस्तावेज के उस भाग तक पहुँच बनायीं जा सकती है जिनमें वे सूचनाएं नहीं होतीं जो इस अधिनियम के तहत भेद प्रकाशन से अलग रखी गयीं हैं.

क्या फाइलों की टिप्पणियों तक पहुँच से मना किया जा सकता है?
नहीं, फाइलों की टिप्पणियां सरकारी फाइल का अभिन्न अंग हैं व इस अधिनियम के तहत भेद प्रकाशन की विषय वस्तु हैं. ऐसा केंद्रीय सूचना आयोग ने 31 जनवरी 2006 के अपने एक आदेश में स्पष्ट कर दिया है.

मुझे सूचना कौन देगा?
एक या अधिक अधिकारियों को प्रत्येक सरकारी विभाग में जन सूचना अधिकारी (पीआईओ) का पद दिया गया है. ये जन सूचना अधिकारी प्रधान अधिकारियों के रूप में कार्य करते हैं. आपको अपनी अर्जी इनके पास दाखिल करनी होती है. यह उनका उत्तरदायित्व होता है कि वे उस विभाग के विभिन्न भागों से आपके द्वारा मांगी गयी जानकारी इकठ्ठा करें व आपको प्रदान करें. इसके अलावा, कई अधिकारियों को सहायक जन सूचना अधिकारी के पद पर सेवायोजित किया गया है. उनका कार्य केवल जनता से अर्जियां स्वीकारना व उचित पीआईओ के पास भेजना है.

अपनी अर्जी मैं कहाँ जमा करुँ?
आप ऐसा पीआईओ या एपीआईओ के पास कर सकते हैं. केंद्र सरकार के विभागों के मामलों में, 629 डाकघरों को एपीआईओ बनाया गया है. अर्थात् आप इन डाकघरों में से किसी एक में जाकर आरटीआई पटल पर अपनी अर्जी व फीस जमा करा सकते हैं. वे आपको एक रसीद व आभार जारी करेंगे और यह उस डाकघर का उत्तरदायित्व है कि वो उसे उचित पीआईओ के पास भेजे.

क्या इसके लिए कोई फीस है? मैं इसे कैसे जमा करुँ?
हाँ, एक अर्ज़ी फीस होती है. केंद्र सरकार के विभागों के लिए यह 10रु. है. हालांकि विभिन्न राज्यों ने भिन्न फीसें रखीं हैं. सूचना पाने के लिए, आपको 2रु. प्रति सूचना पृष्ठ केंद्र सरकार के विभागों के लिए देना होता है. यह विभिन्न राज्यों के लिए अलग- अलग है. इसी प्रकार दस्तावेजों के निरीक्षण के लिए भी फीस का प्रावधान है. निरीक्षण के पहले घंटे की कोई फीस नहीं है लेकिन उसके पश्चात् प्रत्येक घंटे या उसके भाग की 5रु. प्रतिघंटा फीस होगी. यह केन्द्रीय कानून के अनुसार है. प्रत्येक राज्य के लिए, सम्बंधित राज्य के नियम देखें. आप फीस नकद में, डीडी या बैंकर चैक या पोस्टल आर्डर जो उस जन प्राधिकरण के पक्ष में देय हो द्वारा जमा कर सकते हैं. कुछ राज्यों में, आप कोर्ट फीस टिकटें खरीद सकते हैं व अपनी अर्ज़ी पर चिपका सकते हैं. ऐसा करने पर आपकी फीस जमा मानी जायेगी. आप तब अपनी अर्ज़ी स्वयं या डाक से जमा करा सकते हैं.

मुझे क्या करना चाहिए यदि पीआईओ या सम्बंधित विभाग मेरी अर्ज़ी स्वीकार न करे?
आप इसे डाक द्वारा भेज सकते हैं. आप इसकी औपचारिक शिकायत सम्बंधित सूचना आयोग को भी अनुच्छेद 18 के तहत करें. सूचना आयुक्त को उस अधिकारी पर 25000रु. का दंड लगाने का अधिकार है जिसने आपकी अर्ज़ी स्वीकार करने से मना किया था.

क्या सूचना पाने के लिए अर्ज़ी का कोई प्रारूप है?
केंद्र सरकार के विभागों के लिए, कोई प्रारूप नहीं है. आपको एक सादा कागज़ पर एक सामान्य अर्ज़ी की तरह ही अर्ज़ी देनी चाहिए. हालांकि कुछ राज्यों और कुछ मंत्रालयों व विभागों ने प्रारूप निर्धारित किये हैं. आपको इन प्रारूपों पर ही अर्ज़ी देनी चाहिए. कृपया जानने के लिए सम्बंधित राज्य के नियम पढें.

मैं सूचना के लिए कैसे अर्ज़ी दूं?
एक साधारण कागज़ पर अपनी अर्ज़ी बनाएं और इसे पीआईओ के पास स्वयं या डाक द्वारा जमा करें. (अपनी अर्ज़ी की एक प्रति अपने पास निजी सन्दर्भ के लिए अवश्य रखें)

मैं अपनी अर्ज़ी की फीस कैसे दे सकता हूँ?
प्रत्येक राज्य का अर्ज़ी फीस जमा करने का अलग तरीका है. साधारणतया, आप अपनी अर्ज़ी की फीस ऐसे दे सकते हैं:

स्वयं नकद भुगतान द्वारा (अपनी रसीद लेना न भूलें)
डाक द्वारा:
डिमांड ड्राफ्ट से
भारतीय पोस्टल आर्डर से
मनी आर्डर से [केवल कुछ राज्यों में]
कोर्ट फीस टिकट से [केवल कुछ राज्यों में]
बैंकर चैक से
कुछ राज्य सरकारों ने कुछ खाते निर्धारित किये हैं. आपको अपनी फीस इन खातों में जमा करानी होती है. इसके लिए, आप एसबीआई की किसी शाखा में जा सकते हैं और राशि उस खाते में जमा करा सकते हैं और जमा रसीद अपनी आरटीआई अर्ज़ी के साथ लगा सकते हैं. या आप अपनी आरटीआई अर्ज़ी के साथ उस विभाग के पक्ष में देय डीडी या एक पोस्टल आर्डर भी लगा सकते हैं.

क्या मैं अपनी अर्जी केवल पीआईओ के पास ही जमा कर सकता हूँ?
नहीं, पीआईओ के उपलब्ध न होने की स्थिति में आप अपनी अर्जी एपीआईओ या अन्य किसी अर्जी लेने के लिए नियुक्त अधिकारी के पास अर्जी जमा कर सकते हैं.

क्या करूँ यदि मैं अपने पीआईओ या एपीआईओ का पता न लगा पाऊँ?
यदि आपको पीआईओ या एपीआईओ का पता लगाने में कठिनाई होती है तो आप अपनी अर्जी पीआईओ c/o विभागाध्यक्ष को प्रेषित कर उस सम्बंधित जन प्राधिकरण को भेज सकते हैं. विभागाध्यक्ष को वह अर्जी सम्बंधित पीआईओ के पास भेजनी होगी.

क्या मुझे अर्जी देने स्वयं जाना होगा?
आपके राज्य के फीस जमा करने के नियमानुसार आप अपनी अर्जी सम्बंधित राज्य के विभाग में अर्जी के साथ डीडी, मनी आर्डर, पोस्टल आर्डर या कोर्ट फीस टिकट संलग्न करके डाक द्वारा भेज सकते हैं. केंद्र सरकार के विभागों के मामलों में, 629 डाकघरों को एपीआईओ बनाया गया है. अर्थात् आप इन डाकघरों में से किसी एक में जाकर आरटीआई पटल पर अपनी अर्जी व फीस जमा करा सकते हैं. वे आपको एक रसीद व आभार जारी करेंगे और यह उस डाकघर का उत्तरदायित्व है कि वो उसे उचित पीआईओ के पास भेजे.

क्या सूचना प्राप्ति की कोई समय सीमा है?
हाँ, यदि आपने अपनी अर्जी पीआईओ को दी है, आपको 30 दिनों के भीतर सूचना मिल जानी चाहिए. यदि आपने अपनी अर्जी सहायक पीआईओ को दी है तो सूचना 35 दिनों के भीतर दी जानी चाहिए. उन मामलों में जहाँ सूचना किसी एकल के जीवन और स्वतंत्रता को प्रभावित करती हो, सूचना 48 घंटों के भीतर उपलब्ध हो जानी चाहिए.

क्या मुझे कारण बताना होगा कि मुझे फलां सूचना क्यों चाहिए?
बिलकुल नहीं, आपको कोई कारण या अन्य सूचना केवल अपने संपर्क विवरण (जो हैं नाम, पता, फोन न.) के अतिरिक्त देने की आवश्यकता नहीं है. अनुच्छेद 6(2) स्पष्टतः कहता है कि प्रार्थी से संपर्क विवरण के अतिरिक्त कुछ नहीं पूछा जायेगा.

क्या पीआईओ मेरी आरटीआई अर्जी लेने से मना कर सकता है?
नहीं, पीआईओ आपकी आरटीआई अर्जी लेने से किसी भी परिस्थिति में मना नहीं कर सकता. चाहें वह सूचना उसके विभाग/ कार्यक्षेत्र में न आती हो, उसे वह स्वीकार करनी होगी. यदि अर्जी उस पीआईओ से सम्बंधित न हो, उसे वह उपयुक्त पीआईओ के पास 5 दिनों के भीतर अनुच्छेद 6(2) के तहत भेजनी होगी.

इस देश में कई अच्छे कानून हैं लेकिन उनमें से कोई कानून कुछ नहीं कर सका. आप कैसे सोचते हैं कि ये कानून करेगा?
यह कानून पहले ही कर रहा है. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार कोई कानून किसी अधिकारी की अकर्मण्यता के प्रति जवाबदेही निर्धारित करता है. यदि सम्बंधित अधिकारी समय पर सूचना उपलब्ध नहीं कराता है, उस पर 250रु. प्रतिदिन के हिसाब से सूचना आयुक्त द्वारा जुर्माना लगाया जा सकता है. यदि दी गयी सूचना गलत है तो अधिकतम 25000रु. तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. जुर्माना आपकी अर्जी गलत कारणों से नकारने या गलत सूचना देने पर भी लगाया जा सकता है. यह जुर्माना उस अधिकारी के निजी वेतन से काटा जाता है.

क्या अब तक कोई जुमाना लगाया गया है?
हाँ, कुछ अधिकारियों पर केन्द्रीय व राज्यीय सूचना आयुक्तों द्वारा जुर्माना लगाया गया है.

क्या पीआईओ पर लगे जुर्माने की राशि प्रार्थी को दी जाती है?
नहीं, जुर्माने की राशि सरकारी खजाने में जमा हो जाती है. हांलांकि अनुच्छेद 19 के तहत, प्रार्थी मुआवजा मांग सकता है.

मैं क्या कर सकता हूँ यदि मुझे सूचना न मिले?
यदि आपको सूचना न मिले या आप प्राप्त सूचना से संतुष्ट न हों, आप अपीलीय अधिकारी के पास सूचना का अधिकार अधिनियम के अनुच्छेद 19(1) के तहत एक अपील दायर कर सकते हैं.

पहला अपीलीय अधिकारी कौन होता है?
प्रत्येक जन प्राधिकरण को एक पहला अपीलीय अधिकारी बनाना होता है. यह बनाया गया अधिकारी पीआईओ से वरिष्ठ रैंक का होता है.

क्या प्रथम अपील का कोई प्रारूप होता है?
नहीं, प्रथम अपील का कोई प्रारूप नहीं होता (लेकिन कुछ राज्य सरकारों ने प्रारूप जारी किये हैं). एक सादा पन्ने पर प्रथम अपीली अधिकारी को संबोधित करते हुए अपनी अपीली अर्जी बनाएं. इस अर्जी के साथ अपनी मूल अर्जी व पीआईओ से प्राप्त जैसे भी उत्तर (यदि प्राप्त हुआ हो) की प्रतियाँ लगाना न भूलें.

क्या मुझे प्रथम अपील की कोई फीस देनी होगी?
नहीं, आपको प्रथम अपील की कोई फीस नहीं देनी होगी, कुछ राज्य सरकारों ने फीस का प्रावधान किया है.

कितने दिनों में मैं अपनी प्रथम अपील दायर कर सकता हूँ?
आप अपनी प्रथम अपील सूचना प्राप्ति के 30 दिनों व आरटीआई अर्जी दाखिल करने के 60 दिनों के भीतर दायर कर सकते हैं.

क्या करें यदि प्रथम अपीली प्रक्रिया के बाद मुझे सूचना न मिले?
यदि आपको प्रथम अपील के बाद भी सूचना न मिले तो आप द्वितीय अपीली चरण तक अपना मामला ले जा सकते हैं. आप प्रथम अपील सूचना मिलने के 30 दिनों के भीतर व आरटीआई अर्जी के 60 दिनों के भीतर (यदि कोई सूचना न मिली हो) दायर कर सकते हैं.

द्वितीय अपील क्या है?
द्वितीय अपील आरटीआई अधिनियम के तहत सूचना प्राप्त करने का अंतिम विकल्प है. आप द्वितीय अपील सूचना आयोग के पास दायर कर सकते हैं. केंद्र सरकार के विभागों के विरुद्ध आपके पास केद्रीय सूचना आयोग है. प्रत्येक राज्य सरकार के लिए, राज्य सूचना आयोग हैं.

क्या द्वितीय अपील के लिए कोई प्रारूप है?
नहीं, द्वितीय अपील के लिए कोई प्रारूप नहीं है (लेकिन राज्य सरकारों ने द्वितीय अपील के लिए भी प्रारूप निर्धारित किए हैं). एक सादा पन्ने पर केद्रीय या राज्य सूचना आयोग को संबोधित करते हुए अपनी अपीली अर्जी बनाएं. द्वितीय अपील दायर करने से पूर्व अपीली नियम ध्यानपूर्वक पढ लें. आपकी द्वितीय अपील निरस्त की जा सकती है यदि वह अपीली नियमों को पूरा नहीं करती है.

क्या मुझे द्वितीय अपील के लिए फीस देनी होगी?
नहीं, आपको द्वितीय अपील के लिए कोई फीस नहीं देनी होगी. हांलांकि कुछ राज्यों ने इसके लिए फीस निर्धारित की है.

मैं कितने दिनों में द्वितीय अपील दायर कर सकता हूँ?
आप प्रथम अपील के निष्पादन के 90 दिनों के भीतर या उस तारीख के 90 दिनों के भीतर कि जब तक आपकी प्रथम अपील निष्पादित होनी थी, द्वितीय अपील दायर कर सकते हैं.

यह कानून कैसे मेरे कार्य पूरे होने में मेरी सहायता करता है?
यह कानून कैसे रुके हुए कार्य पूरे होने में सहायता करता है अर्थात् वह अधिकारी क्यों अब वह आपका रुका कार्य करता है जो वह पहले नहीं कर रहा था?

एक उदाहरण
आइए नन्नू का मामला लेते हैं. उसे राशन कार्ड नहीं दिया जा रहा था. लेकिन जब उसने आरटीआई के तहत अर्जी दी, उसे एक सप्ताह के भीतर राशन कार्ड दे दिया गया. नन्नू ने क्या पूछा? उसने निम्न प्रश्न पूछे:

1. मैंने एक डुप्लीकेट राशन कार्ड के लिए 27 फरवरी 2004 को अर्जी दी. कृपया मुझे मेरी अर्जी पर हुई दैनिक उन्नति बताएं अर्थात् मेरी अर्जी किस अधिकारी पर कब पहुंची, उस अधिकारी पर यह कितने समय रही और उसने उतने समय क्या किया?

2. नियमों के अनुसार, मेरा कार्ड 10 दिनों के भीतर बन जाना चाहिए था. हांलांकि अब तीन माह से अधिक का समय हो गया है. कृपया उन अधिकारियों के नाम व पद बताएं जिनसे आशा की जाती है कि वे मेरी अर्जी पर कार्रवाई करते व जिन्होंने ऐसा नहीं किया?

3. इन अधिकारियों के विरुद्ध अपना कार्य न करने व जनता के शोषण के लिए क्या कार्रवाई की जायेगी? वह कार्रवाई कब तक की जायेगी?

4. अब मुझे कब तक अपना कार्ड मिल जायेगा?

साधारण परिस्थितियों में, ऐसी एक अर्जी कूड़ेदान में फेंक दी जाती. लेकिन यह कानून कहता है कि सरकार को 30 दिनों में जवाब देना होगा. यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, उनके वेतन में कटौती की जा सकती है. अब ऐसे प्रश्नों का उत्तर देना आसान नहीं होगा.

पहला प्रश्न है- कृपया मुझे मेरी अर्जी पर हुई दैनिक उन्नति बताएं.

कोई उन्नति हुई ही नहीं है. लेकिन सरकारी अधिकारी यह इन शब्दों में लिख ही नहीं सकते कि उन्होंने कई महीनों से कोई कार्रवाई नहीं की है. वरन यह कागज़ पर गलती स्वीकारने जैसा होगा.

अगला प्रश्न है- कृपया उन अधिकारियों के नाम व पद बताएं जिनसे आशा की जाती है कि वे मेरी अर्जी पर कार्रवाई करते व जिन्होंने ऐसा नहीं किया.

यदि सरकार उन अधिकारियों के नाम व पद बताती है, उनका उत्तरदायित्व निर्धारित हो जाता है. एक अधिकारी अपने विरुद्ध इस प्रकार कोई उत्तरदायित्व निर्धारित होने के प्रति काफी सतर्क होता है. इस प्रकार, जब कोई इस तरह अपनी अर्जी देता है, उसका रुका कार्य संपन्न हो जाता है.

मुझे सूचना प्राप्ति के पश्चात् क्या करना चाहिए?
इसके लिए कोई एक उत्तर नहीं है. यह आप पर निर्भर करता है कि आपने वह सूचना क्यों मांगी व यह किस प्रकार की सूचना है. प्राय: सूचना पूछने भर से ही कई वस्तुएं रास्ते में आने लगतीं हैं. उदाहरण के लिए, केवल अपनी अर्जी की स्थिति पूछने भर से आपको अपना पासपोर्ट या राशन कार्ड मिल जाता है. कई मामलों में, सड़कों की मरम्मत हो जाती है जैसे ही पिछली कुछ मरम्मतों पर खर्च हुई राशि के बारे में पूछा जाता है. इस तरह, सरकार से सूचना मांगना व प्रश्न पूछना एक महत्वपूर्ण चरण है, जो अपने आप में कई मामलों में पूर्ण है.

लेकिन मानिये यदि आपने आरटीआई से किसी भ्रष्टाचार या गलत कार्य का पर्दाफ़ाश किया है, आप सतर्कता एजेंसियों, सीबीआई को शिकायत कर सकते हैं या एफ़आईआर भी करा सकते हैं. लेकिन देखा गया है कि सरकार दोषी के विरुद्ध बारम्बार शिकायतों के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं करती. यद्यपि कोई भी सतर्कता एजेंसियों पर शिकायत की स्थिति आरटीआई के तहत पूछकर दवाब अवश्य बना सकता है. हांलांकि गलत कार्यों का पर्दाफाश मीडिया के जरिए भी किया जा सकता है. हांलांकि दोषियों को दंड देने का अनुभव अधिक उत्साहजनक है. लेकिन एक बात पक्की है कि इस प्रकार सूचनाएं मांगना और गलत कामों का पर्दाफाश करना भविष्य को संवारता है. अधिकारियों को स्पष्ट सन्देश मिलता है कि उस क्षेत्र के लोग अधिक सावधान हो गए हैं और भविष्य में इस प्रकार की कोई गलती पूर्व की भांति छुपी नहीं रहेगी. इसलिए उनके पकडे जाने का जोखिम बढ जाता है.

क्या लोगों को निशाना बनाया गया है जिन्होंने आरटीआई का प्रयोग किया व भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया?
हाँ, ऐसे कुछ उदाहरण हैं जिनमें लोगों को शारीरिक हानि पहुंचाई गयी जब उन्होंने भ्रष्टाचार का बड़े पैमाने पर पर्दाफाश किया. लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि प्रार्थी को हमेशा ऐसा भय झेलना होगा. अपनी शिकायत की स्थिति या अन्य समरूपी मामलों की जानकारी लेने के लिए अर्जी लगाने का अर्थ प्रतिकार निमंत्रित करना नहीं है. ऐसा तभी होता है जब सूचना नौकरशाह- ठेकेदार गठजोड़ या किसी प्रकार के माफ़िया का पर्दाफाश कर सकती हो कि प्रतिकार की सम्भावना हो.

तब मैं आरटीआई का प्रयोग क्यों करुँ?
पूरा तंत्र इतना सड- गल चुका है कि यदि हम सभी अकेले या मिलकर अपना प्रयत्न नहीं करेंगे, यह कभी नहीं सुधरेगा. यदि हम ऐसा नहीं करेंगे, तो कौन करेगा? हमें करना है. लेकिन हमें ऐसा रणनीति से व जोखिम को कम करके करना होगा. व अनुभव से, कुछ रणनीतियां व सुरक्षाएं उपलब्ध हैं.

ये रणनीतियां क्या हैं?
कृपया आगे बढें और किसी भी मुद्दे के लिए आरटीआई अर्जी दाखिल करें. साधारणतया, कोई आपके ऊपर एकदम हमला नहीं करेगा. पहले वे आपकी खुशामद करेंगे या आपको जीतेंगे. तो आप जैसे ही कोई असुविधाजनक अर्जी दाखिल करते हैं, कोई आपके पास बड़ी विनम्रता के साथ उस अर्जी को वापिस लेने की विनती करने आएगा. आपको उस व्यक्ति की गंभीरता और स्थिति का अंदाजा लगा लेना चाहिए. यदि आप इसे काफी गंभीर मानते हैं, अपने 15 मित्रों को भी तुंरत उसी जन प्राधिकरण में उसी सुचना के लिए अर्जी देने के लिए कहें. बेहतर होगा यदि ये 15 मित्र भारत के विभिन्न भागों से हों. अब, आपके देश भर के 15 मित्रों को डराना किसी के लिए भी मुश्किल होगा. यदि वे 15 में से किसी एक को भी डराते हैं, तो और लोगों से भी अर्जियां दाखिल कराएं. आपके मित्र भारत के अन्य हिस्सों से अर्जियां डाक से भेज सकते हैं. इसे मीडिया में व्यापक प्रचार दिलाने की कोशिश करें. इससे यह सुनिश्चित होगा कि आपको वांछित जानकारी मिलेगी व आप जोखिमों को कम कर सकेंगे.

क्या लोग जन सेवकों का भयादोहन नहीं करेंगे?
आईए हम स्वयं से पूछें- आरटीआई क्या करता है? यह केवल जनता में सच लेकर आता है. यह कोई सूचना उत्पन्न नहीं करता. यह केवल परदे हटाता है व सच जनता के सामने लाता है. क्या वह गलत है? इसका दुरूपयोग कब किया जा सकता है? केवल यदि किसी अधिकारी ने कुछ गलत किया हो और यदि यह सूचना जनता में बाहर आ जाये. क्या यह गलत है यदि सरकार में की जाने वाली गलतियाँ जनता में आ जाएं व कागजों में छिपाने की बजाय इनका पर्दाफाश हो सके. हाँ, एक बार ऐसी सूचना किसी को मिल जाए तो वह जा सकता है व अधिकारी को ब्लैकमेल कर सकता है. लेकिन हम गलत अधिकारियों को क्यों बचाना चाहते है? यदि किसी अन्य को ब्लैकमेल किया जाता है, उसके पास भारतीय दंड संहिता के तहत ब्लैकमेलर के विरुद्ध एफ़आईआर दर्ज करने के विकल्प मौजूद हैं. उस अधिकारी को वह करने दीजिये. हांलांकि हम किसी अधिकारी को किसी ब्लैकमेलर द्वारा ब्लैकमेल किये जाने की संभावनाओं को सभी मांगी गयी सूचनाओं को वेबसाइट पर डालकर कम कर सकते हैं. एक ब्लैकमेलर किसी अधिकारी को तभी ब्लैकमेल कर पायेगा जब केवल वही उस सूचना को ले पायेगा व उसे सार्वजनिक करने की धमकी देगा. लेकिन यदि उसके द्वारा मांगी गयी सूचना वेबसाइट पर डाल दी जाये तो ब्लैकमेल करने की सम्भावना कम हो जाती है.

क्या सरकार के पास आरटीआई अर्जियों की बाढ नहीं आ जायेगी और यह सरकारी तंत्र को जाम नहीं कर देगी?
ये डर काल्पनिक हैं. 65 से अधिक देशों में आरटीआई कानून हैं. संसद में पारित किए जाने से पूर्व भारत में भी 9 राज्यों में आरटीआई कानून थे. इन में से किसी सरकार में आरटीआई अर्जियों की बाढ नहीं आई. ऐसे डर इस कल्पना से बनते हैं कि लोगों के पास करने को कुछ नहीं है व वे बिलकुल खाली हैं. आरटीआई अर्ज़ी डालने व ध्यान रखने में समय लगता है, मेहनत व संसाधन लगते हैं.

आईये कुछ आंकडे लें.
दिल्ली में, 60 से अधिक महीनों में 120 विभागों में 14000 अर्जियां दाखिल हुईं. इसका अर्थ हुआ कि 2 से कम अर्जियां प्रति विभाग प्रति माह. क्या हम कह सकते हैं कि दिल्ली सरकार में आरटीआई अर्जियों की बाढ नहीं आ गई? तेज रोशनी में, यूएस सरकार को 2003- 04 के दौरान आरटीआई अधिनियम के तहत 3.2 मिलियन अर्जियां प्राप्त हुईं. यह उस तथ्य के बावजूद है कि भारत से उलट, यूएस सरकार की अधिकतर सूचनाएं नेट पर उपलब्ध हैं और लोगों को अर्जियां दाखिल करने की कम आवश्यकता होनी चाहिए. लेकिन यूएस सरकार आरटीआई अधिनियम को समाप्त करने का विचार नहीं कर रही. इसके उलट वे अधिकाधिक संसाधनों को इसे लागू करने में जुटा रहे हैं. इसी वर्ष, उन्होंने 32 मिलियन यूएस डॉलर इसके क्रियान्वयन में खर्च किये.

क्या आरटीआई अधिनियम के क्रियान्वयन में अत्यधिक संसाधन खर्च नहीं होंगे?
आरटीआई अधिनियम के क्रियान्वयन में खर्च किये गए संसाधन सही खर्च होंगे. यूएस जैसे अधिकांश देशों ने यह पाया है व वे अपनी सरकारों को पारदर्शी बनाने पर अत्यधिक संसाधन खर्च कर रहे हैं. पहला, आरटीआई पर खर्च लागत उसी वर्ष पुनः उस धन से प्राप्त हो जाती है जो सरकार भ्रष्टाचार व गलत कार्यों में कमी से बचा लेती है. उदहारण के लिए, इस बात के ठोस प्रमाण हैं कि कैसे आरटीआई के वृहद् प्रयोग से राजस्थान के सूखा राहत कार्यक्रम और दिल्ली की जन वितरण प्रणाली की अनियमितताएं कम हो पायीं.

दूसरा, आरटीआई लोकतंत्र के लिए बहुत जरुरी है. यह हमारे मौलिक अधिकारों का एक हिस्सा है. जनता की सरकार में भागीदारी से पहले जरुरी है कि वे पहले जानें कि क्या हो रहा है. इसलिए, जिस प्रकार हम संसद के चलने पर होने वाले खर्च को आवश्यक मानते हैं, आरटीआई पर होने वाले खर्च को भी जरुरी माना जाये.

लेकिन प्राय
लोग निजी मामले सुलझाने के लिए अर्जियां देते हैं?
जैसा कि ऊपर दिया गया है, यह केवल जनता में सच लेकर आता है. यह कोई सूचना उत्पन्न नहीं करता. सच छुपाने या उस पर पर्दा डालने का कोई प्रयास समाज के उत्तम हित में नहीं हो सकता. किसी लाभदायक उद्देश्य की प्राप्ति से अधिक, गोपनीयता को बढावा देना भ्रष्टाचार और गलत कामों को बढावा देगा. इसलिए, हमारे सभी प्रयास सरकार को पूर्णतः पारदर्शी बनाने के होने चाहिए. हांलांकि, यदि कोई किसी को आगे ब्लैकमेल करता है, कानून में इससे निपटने के प्रचुर प्रावधान हैं. दूसरा, आरटीआई अधिनियम के अनुच्छेद 8 के तहत कई बचाव भी हैं. यह कहता है, कि कोई सूचना जो किसी के निजी मामलों से सम्बंधित है व इसका जनहित से कोई लेना- देना नहीं है को प्रकट नहीं किया जायेगा. इसलिए, मौजूदा कानूनों में लोगों के वास्तविक उद्देश्यों से निपटने के पर्याप्त प्रावधान हैं.

लोगों को ओछी/ तुच्छ अर्जियां दाखिल करने से कैसे बचाया जाए?
कोई अर्ज़ी ओछी/ तुच्छ नहीं होती. ओछा/ तुच्छ क्या है? मेरा पानी का रुका हुआ कनेक्शन मेरे लिए सबसे संकटपूर्ण हो सकता है, लेकिन एक नौकरशाह के लिए यह ओछा/ तुच्छ हो सकता है. नौकरशाही में निहित कुछ स्वार्थों ने इस ओछी/ तुच्छ अर्जियों के दलदल को बढाया है. वर्तमान में, आरटीआई अधिनियम किसी भी अर्ज़ी को इस आधार पर निरस्त करने की इजाज़त नहीं देता कि वो ओछी/ तुच्छ थी. यदि ऐसा हो, प्रत्येक पीआईओ हर दूसरी अर्ज़ी को ओछी/ तुच्छ बताकर निरस्त कर देगा. यह आरटीआई के लिए मृत समाधि के समान होगा.

फाइल टिप्पणियां सार्वजनिक नहीं की जानी चाहिए क्योंकि यह ईमानदार अधिकारियों को ईमानदार सलाह देने से रोकेगा?
यह गलत है. इसके उलट, हर अधिकारी को अब यह पता होगा कि जो कुछ भी वो लिखता है वह जन- समीक्षा का विषय हो सकता है. यह उस पर उत्तम जनहित में लिखने का दवाब बनाएगा. कुछ ईमानदार नौकरशाहों ने अलग से स्वीकारा है कि आरटीआई ने उनकी राजनीतिक व अन्य प्रभावों को दरकिनार करने में बहुत सहायता की है. अब अधिकारी सीधे तौर पर कहते हैं कि यदि उन्होंने कुछ गलत किया तो उनका पर्दाफाश हो जायेगा यदि किसी ने उसी सूचना के बारे में पूछ लिया. इसलिए, अधिकारियों ने इस बात पर जोर देना शुरू कर दिया है कि वरिष्ठ अधिकारी लिखित में निर्देश दें. सरकार ने भी इस पर मनन करना प्रारंभ कर दिया है कि फाइल टिप्पणियां आरटीआई अधिनियम की सीमा से हटा दी जाएँ. उपरोक्त कारणों से, यह नितांत आवश्यक है कि फाइल टिप्पणियां आरटीआई अधिनियम की सीमा में रहें.

जन सेवक को निर्णय कई दवाबों में लेने होते हैं व जनता इसे नहीं समझेगी?
जैसा ऊपर बताया गया है, इसके उलट, इससे कई अवैध दवाबों को कम किया जा सकता है.

सरकारी रेकॉर्ड्स सही आकार में नहीं हैं. आरटीआई को कैसे लागू किया जाए?
आरटीआई तंत्र को अब रेकॉर्ड्स सही आकार में रखने का दवाब डालेगा. वरन अधिकारी को अधिनियम के तहत दंड भुगतना होगा.

विशाल जानकारी मांगने वाली अर्जियां रद्द कर देनी चाहिए?
यदि मैं कुछ जानकारी चाहता हूँ, जो एक लाख पृष्ठों में आती है, मैं ऐसा तभी करूँगा जब मुझे इसकी आवश्यकता होगी क्योंकि मुझे उसके लिए 2 लाख रुपयों का भुगतान करना होगा. यह एक स्वतः ही हतोत्साह करने वाला उपाय है. यदि अर्ज़ी इस आधार पर रद्द कर दी गयी, तो प्रार्थी इसे तोड़कर प्रत्येक अर्ज़ी में 100 पृष्ठ मांगते हुए 1000 अर्जियां बना लेगा, जिससे किसी का भी लाभ नहीं होगा. इसलिए, इस कारण अर्जियां रद्द नहीं होनी चाहिए कि:

"लोगों को केवल अपने बारे में सूचना मांगने दी जानी चाहिए. उन्हें सरकार के अन्य मामलों के बारे में प्रश्न पूछने की छूट नहीं दी जानी चाहिए", पूर्णतः इससे असंबंधित है:

आरटीआई अधिनियम का अनुच्छेद 6(2) स्पष्टतः कहता है कि प्रार्थी से यह नहीं पूछा जा सकता कि क्यों वह कोई जानकारी मांग रहा है. किसी भी मामले में, आरटीआई इस तथ्य से उद्धृत होता है कि लोग टैक्स/ कर देते हैं, यह उनका पैसा है और इसीलिए उन्हें यह जानने का अधिकार है कि उनका पैसा कैसे खर्च हो रहा है व कैसे उनकी सरकार चल रही है. इसलिए लोगों को सरकार के प्रत्येक कार्य की प्रत्येक बात जानने का अधिकार है. वे उस मामले से सीधे तौर पर जुड़े हों या न हों. इसलिए, दिल्ली में रहने वाला व्यक्ति कोई भी सूचना मांग सकता है चाहे वह तमिलनाडु की हो.

आरटीआई अधिनियम का अनुच्छेद 6(2) स्पष्टतः कहता है कि प्रार्थी से यह नहीं पूछा जा सकता कि क्यों वह कोई जानकारी मांग रहा है. किसी भी मामले में, आरटीआई इस तथ्य से उद्धृत होता है कि लोग टैक्स/ कर देते हैं, यह उनका पैसा है और इसीलिए उन्हें यह जानने का अधिकार है कि उनका पैसा कैसे खर्च हो रहा है व कैसे उनकी सरकार चल रही है. इसलिए लोगों को सरकार के प्रत्येक कार्य की प्रत्येक बात जानने का अधिकार है. वे उस मामले से सीधे तौर पर जुड़े हों या न हों. इसलिए, दिल्ली में रहने वाला व्यक्ति कोई भी सूचना मांग सकता है चाहे वह तमिलनाडु की हो.

जन लोकपाल विधेयक

जन लोकपाल विधेयक भारत में प्रस्तावित भ्रष्टाचारनिरोधी विधेयक का मसौदा है। यदि इस तरह का विधेयक पारित हो जाता है तो भारत में जन लोकपाल चुनने का रास्ता साफ हो जायेगा जो चुनाव आयुक्त की तरह स्वतंत्र संस्था होगी। जन लोकपाल के पास भ्रष्ट राजनेताओं एवं नौकरशाहों पर बिना सरकार से अनुमति लिये ही अभियोग चलाने की शक्ति होगी। जस्टिस संतोष हेगड़े, प्रशांत भूषण, सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने यह बिल जनता के साथ विचार विमर्श के बाद तैयार किया है।

जन लोकपाल विधेयक के मुख्य बिन्दु
इस कानून के तहत केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त का गठन होगा।
यह संस्था चुनाव आयोग और उच्चतम न्यायालय की तरह सरकार से स्वतंत्र होगी।
किसी भी मुकदमे की जांच एक साल के भीतर पूरी होगी। ट्रायल अगले एक साल में पूरा होगा।
भ्रष्ट नेता, अधिकारी या जज को 2 साल के भीतर जेल भेजा जाएगा।
भ्रष्टाचार की वजह से सरकार को जो नुकसान हुआ है अपराध साबित होने पर उसे दोषी से वसूला जाएगा।
अगर किसी नागरिक का काम तय समय में नहीं होता तो लोकपाल दोषी अफसर पर जुर्माना लगाएगा जो शिकायतकर्ता को मुआवजे के तौर पर मिलेगा।
लोकपाल के सदस्यों का चयन जज, नागरिक और संवैधानिक संस्थाएं मिलकर करेंगी। नेताओं का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।
लोकपाल/ लोक आयुक्तों का काम पूरी तरह पारदर्शी होगा। लोकपाल के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत आने पर उसकी जांच 2 महीने में पूरी कर उसे बर्खास्त कर दिया जाएगा।
सीवीसी, विजिलेंस विभाग और सीबीआई के ऐंटि-करप्शन विभाग का लोकपाल में विलय हो जाएगा।
लोकपाल को किसी भी भ्रष्ट जज, नेता या अफसर के खिलाफ जांच करने और मुकदमा चलाने के लिए पूरी शक्ति और व्यवस्था होगी।

जन लोकपाल बिल की प्रमुख शर्तें
न्यायाधीश संतोष हेगड़े, प्रशांत भूषण और अरविंद केजरीवाल द्वारा बनाया गया यह विधेयक लोगों द्वारा वेबसाइट पर दी गई प्रतिक्रिया और जनता के साथ विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है। इस बिल को शांति भूषण, जे एम लिंग्दोह, किरण बेदी, अन्ना हजारे आदि का समर्थन प्राप्त है। इस बिल की प्रति प्रधानमंत्री और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को एक दिसम्बर को भेजा गया था।

1. इस कानून के अंतर्गत, केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त का गठन होगा।
2. यह संस्था निर्वाचन आयोग और सुप्रीम कोर्ट की तरह सरकार से स्वतंत्र होगी। कोई भी नेता या सरकारी अधिकारी की जांच की जा सकेगी
3. भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कई सालों तक मुकदमे लम्बित नहीं रहेंगे। किसी भी मुकदमे की जांच एक साल के भीतर पूरी होगी। ट्रायल अगले एक साल में पूरा होगा और भ्रष्ट नेता, अधिकारी या न्यायाधीश को दो साल के भीतर जेल भेजा जाएगा।
4. अपराध सिद्ध होने पर भ्रष्टाचारियों द्वारा सरकार को हुए घाटे को वसूल किया जाएगा।
5. यह आम नागरिक की कैसे मदद करेगा: यदि किसी नागरिक का काम तय समय सीमा में नहीं होता, तो लोकपाल जिम्मेदार अधिकारी पर जुर्माना लगाएगा और वह जुर्माना शिकायतकर्ता को मुआवजे के रूप में मिलेगा।
6. अगर आपका राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, पासपोर्ट आदि तय समय सीमा के भीतर नहीं बनता है या पुलिस आपकी शिकायत दर्ज नहीं करती तो आप इसकी शिकायत लोकपाल से कर सकते हैं और उसे यह काम एक महीने के भीतर कराना होगा। आप किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार की शिकायत लोकपाल से कर सकते हैं जैसे सरकारी राशन की कालाबाजारी, सड़क बनाने में गुणवत्ता की अनदेखी, पंचायत निधि का दुरुपयोग। लोकपाल को इसकी जांच एक साल के भीतर पूरी करनी होगी। सुनवाई अगले एक साल में पूरी होगी और दोषी को दो साल के भीतर जेल भेजा जाएगा।
7. क्या सरकार भ्रष्ट और कमजोर लोगों को लोकपाल का सदस्य नहीं बनाना चाहेगी? ये मुमकिन नहीं है क्योंकि लोकपाल के सदस्यों का चयन न्यायाधीशों, नागरिकों और संवैधानिक संस्थानों द्वारा किया जाएगा न कि नेताओं द्वारा। इनकी नियुक्ति पारदर्शी तरीके से और जनता की भागीदारी से होगी।
8. अगर लोकपाल में काम करने वाले अधिकारी भ्रष्ट पाए गए तो? लोकपाल / लोकायुक्तों का कामकाज पूरी तरह पारदर्शी होगा। लोकपाल के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत आने पर उसकी जांच अधिकतम दो महीने में पूरी कर उसे बर्खास्त कर दिया जाएगा।
9. मौजूदा भ्रष्टाचार निरोधक संस्थानों का क्या होगा? सीवीसी, विजिलेंस विभाग, सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक विभाग (अंटी कारप्शन डिपार्टमेंट) का लोकपाल में विलय कर दिया जाएगा। लोकपाल को किसी न्यायाधीश, नेता या अधिकारी के खिलाफ जांच करने व मुकदमा चलाने के लिए पूर्ण शक्ति और व्यवस्था भी होगी।

सरकारी बिल और जनलोकपाल बिल में मुख्य अंतर
सरकारी लोकपाल के पास भ्रष्टाचार के मामलों पर ख़ुद या आम लोगों की शिकायत पर सीधे कार्रवाई शुरु करने का अधिकार नहीं होगा. सांसदों से संबंधित मामलों में आम लोगों को अपनी शिकायतें राज्यसभा के सभापति या लोकसभा अध्यक्ष को भेजनी पड़ेंगी. वहीं प्रस्तावित जनलोकपाल बिल के तहत लोकपाल ख़ुद किसी भी मामले की जांच शुरु करने का अधिकार रखता है. इसमें किसी से जांच के लिए अनुमति लेने की ज़रूरत नहीं है सरकार द्वारा प्रस्तावित लोकपाल को नियुक्त करने वाली समिति में उपराष्ट्रपति. प्रधानमंत्री, दोनो सदनों के नेता, दोनो सदनों के विपक्ष के नेता, क़ानून और गृह मंत्री होंगे. वहीं प्रस्तावित जनलोकपाल बिल में न्यायिक क्षेत्र के लोग, मुख्य चुनाव आयुक्त, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, भारतीय मूल के नोबेल और मैगासेसे पुरस्कार के विजेता चयन करेंगे ।

राज्यसभा के सभापति या स्पीकर से अनुमति
सरकारी लोकपाल के पास भ्रष्टाचार के मामलों पर ख़ुद या आम लोगों की शिकायत पर सीधे कार्रवाई शुरु करने का अधिकार नहीं होगा. सांसदों से संबंधित मामलों में आम लोगों को अपनी शिकायतें राज्यसभा के सभापति या लोकसभा अध्यक्ष को भेजनी पड़ेंगी.वहीं प्रस्तावित जनलोकपाल बिल के तहत लोकपाल ख़ुद किसी भी मामले की जांच शुरु करने का अधिकार रखता है. इसमें किसी से जांच के लिए अनुमति लेने की ज़रूरत नहीं है.सरकारी विधेयक में लोकपाल केवल परामर्श दे सकता है. वह जांच के बाद अधिकार प्राप्त संस्था के पास इस सिफ़ारिश को भेजेगा. जहां तक मंत्रीमंडल के सदस्यों का सवाल है इस पर प्रधानमंत्री फ़ैसला करेंगे. वहीं जनलोकपाल सशक्त संस्था होगी. उसके पास किसी भी सरकारी अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की क्षमता होगी.सरकारी विधेयक में लोकपाल के पास पुलिस शक्ति नहीं होगी. जनलोकपाल न केवल प्राथमिकी दर्ज करा पाएगा बल्कि उसके पास पुलिस फ़ोर्स भी होगी.सरकारी विधेयक में लोकपाल केवल परामर्श दे सकता है. वह जांच के बाद अधिकार प्राप्त संस्था के पास इस सिफ़ारिश को भेजेगा. जहां तक मंत्रीमंडल के सदस्यों का सवाल है इस पर प्रधानमंत्री फ़ैसला करेंगे. वहीं जनलोकपाल सशक्त संस्था होगी. उसके पास किसी भी सरकारी अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की क्षमता होगी.सरकारी विधेयक में लोकपाल के पास पुलिस शक्ति नहीं होगी. जनलोकपाल न केवल प्राथमिकी दर्ज करा पाएगा बल्कि उसके पास पुलिस फ़ोर्स भी होगी

अधिकार क्षेत्र सीमित
अगर कोई शिकायत झूठी पाई जाती है तो सरकारी विधेयक में शिकायतकर्ता को जेल भी भेजा जा सकता है. लेकिन जनलोकपाल बिल में झूठी शिकायत करने वाले पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है.
सरकारी विधेयक में लोकपाल का अधिकार क्षेत्र सांसद, मंत्री और प्रधानमंत्री तक सीमित रहेगा. जनलोकपाल के दायरे में प्रधानमत्री समेत नेता, अधिकारी, न्यायाधीश सभी आएँगे.
लोकपाल में तीन सदस्य होंगे जो सभी सेवानिवृत्त न्यायाधीश होंगे. जनलोकपाल में 10 सदस्य होंगे और इसका एक अध्यक्ष होगा. चार की क़ानूनी पृष्टभूमि होगी. बाक़ी का चयन किसी भी क्षेत्र से होगा.

चयनकर्ताओं में अंतर
सरकार द्वारा प्रस्तावित लोकपाल को नियुक्त करने वाली समिति में उपराष्ट्रपति. प्रधानमंत्री, दोनो सदनों के नेता, दोनो सदनों के विपक्ष के नेता, क़ानून और गृह मंत्री होंगे. वहीं प्रस्तावित जनलोकपाल बिल में न्यायिक क्षेत्र के लोग, मुख्य चुनाव आयुक्त, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, भारतीय मूल के नोबेल और मैगासेसे पुरस्कार के विजेता चयन करेंगे.लोकपाल की जांच पूरी होने के लिए छह महीने से लेकर एक साल का समय तय किया गया है. प्रस्तावित जनलोकपाल बिल के अनुसार एक साल में जांच पूरी होनी चाहिए और अदालती कार्यवाही भी उसके एक साल में पूरी होनी चाहिए.
सरकारी लोकपाल विधेयक में नौकरशाहों और जजों के ख़िलाफ़ जांच का कोई प्रावधान नहीं है. लेकिन जनलोकपाल के तहत नौकरशाहों और जजों के ख़िलाफ़ भी जांच करने का अधिकार शामिल है. भ्रष्ट अफ़सरों को लोकपाल बर्ख़ास्त कर सकेगा.

सज़ा और नुक़सान की भरपाई
सरकारी लोकपाल विधेयक में दोषी को छह से सात महीने की सज़ा हो सकती है और धोटाले के धन को वापिस लेने का कोई प्रावधान नहीं है. वहीं जनलोकपाल बिल में कम से कम पांच साल और अधिकतम उम्र क़ैद की सज़ा हो सकती है. साथ ही धोटाले की भरपाई का भी प्रावधान है.
ऐसी स्थिति मे जिसमें लोकपाल भ्रष्ट पाया जाए, उसमें जनलोकपाल बिल में उसको पद से हटाने का प्रावधान भी है. इसी के साथ केंद्रीय सतर्कता आयुक्त, सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा सभी को जनलोकपाल का हिस्सा बनाने का प्रावधान भी है.

उर्दू शब्दों के सरल हिन्दी पर्याय

आफत (अरबी) - विपत्ति , Difficulty / Problem
औजार (अरबी) - उपकरण, Tool
औकात (अरबी) क्षमता , Capability
हैसियत (अरबी) - क्षमता , Capability
मजाल (अरबी) - क्षमता, Capability
इश्तहार (अरबी) - विज्ञापन, Advertisement
इंतज़ाम (अरबी) - प्रबंध, Arrangement
महफूज़ (अरबी) - सुरक्षित, Safe
महसूस (अरबी) - आभास, Feeling
Primary table Shabd Source Khadi Boli Meaning
Mahsoos Arabic Aabhas Feeling
Mahfil Arabic Sabha Meeting / Party
Humesha Farsi Sada Forever
Hifazat Arabic Raksha Protection
Hamla Arabic Aakraman Attack
Harkat Arabic Hilna Movement
Hargiz Farsi Kadapi Never
Har Farsi Prateyak Each
Haya Arabic Laaj Shy
Hissa Arabic Bhaag Part/Share
Hisaab Arabic Lain-Dain Accounts
Haal Arabic Dasha Condition
Kadam Arabic Pag Step
Kamar Farsi Kati Waist
Kamzor Farsi Durbal Weak
Kadar Arabic Maan Appreciation
Kasam Arabic Saugandh Promise
Kasar Arabic Kami Shortcoming
Kasrat Arabic Vyayaam Exercise
Kasoor Arabic Dosh Fault
Kamaal Arabic Anokha Strange
Karz Arabic Hrirn Loan
Aawaaz Farsi Swar / Dhwani Voice
Kanoon Arabic Sanvidhan Law / Rule
Parda Farsi Aawaran Curtain
Safar Arabic Yaatra Journey
Kharch Unknown Vyay Expenses
Aaraam Farsi Chaien Comfort
Aaina Farsi Darpan Mirror
Roz Farsi Nitya / Prati din Daily
Shikayat Arabic Upaalambh Complaint
Ilaaj Arabic Upchaar Treatment
Beemaar Farsi Rog Sick / Ill
Achaar Farsi Khatayi Pickle
Sarkaar Farsi Sashan / Prashan Government
Khafa Arabic Tan'g Fed up
Khyaal Arabic Dhyaan Mind/Attention
Mareez Arabic Rogi Patient
Mazdoor Farsi Kshramak Worker
Aam Arabic Sadharan Common
Sare Aam Farsi Khula Openly
Marzi Arabic Ichha/Sweekriti Will
Mamla Arabic Vivaad Matter
Mizaaz Arabic Prakrati Mood
Misaal Arabic Udaharan Example
Maalik Arabic Swami Boss / Owner
Mamooli Arabic Samaanya Ordinary
Kayam Arabic Stapit Establish
Kitaab Arabic Pustak Book
Khitaab Arabic Padvi Upaadhi
Ohdaa Arabic Pad/Sthan Status/Place
Rutbaa Arabic Pad/Sthan Eminence/Position
Shakla Unknown Surat Face
Kayaada Unknown Niyam Rule
Dastoor Farsi Reeti Customs
Kaagaz Farsi Unknown Paper
Natijaa Farsi Parirnam Result
Huzoor Arabic Unknown Unknown

Pareshaan Farsi Unknown Unknown
Nakhra Farsi Chonchale Unknown
Nazaaraa Arabic Drishya View / Sight
Dastak Farsi Khatkhatna Knock
Dar (Darwaza) Farsi Dwaar Door
Daawat Arabic Bhoj Nimantran Treat
Mayoos Arabic Nirash Disappointed
Nazrana Arabic Uphaar Gift
Fanaa Arabic Nasht Destroyed
Fursat Arabic Chhuti / Avkash Freetime
Farmaish Farsi Anurodh Request
Farishta Farsi Devta Angel
Fitrat Arabic Swabhav Nature / Character
Seena Farsi Chhati / Vaksh Chest
Vaada Arabic Vachan Promise
Khilaaf Farsi Virudh Against
Khali Arabic Rikt Empty / Blank
Kabool Arabic Swikaar Accept
Khud Farsi Swayam Self
Khudgarz Farsi Swarthi Selfish
Khuddar Farsi Swabhimani Proud
Khufiya Farsi Gupt Secret
Jaasoos Arabic Guptchar Spy
Khushal Farsi Unknown Unknown
Khush Farsi Prasann Happy
Khushboo Farsi Sugandh Sweet smell
Badboo Farsi Durgandh Pungent Smell
Khub Farsi Unknown Unknown
Khubi Farsi Unknown Unknown
Bas Farsi Unknown Unknown
Khoon Farsi Hatya Murder
Khatra Arabic Bhay / Dar Danger
Khata Arabic Apradh Mistake
Khatam Unknown Samapt Unknown

पर्यायवाची शब्द

भारतकोश -ज्ञान का हिन्दी महासागर
पर्यायवाची शब्द (समानार्थी शब्द / Synonyms Word)
जिन शब्दों के अर्थ में समानता होती है, उन्हें समानार्थक या पर्यायवाची शब्द कहते है या किसी शब्द-विशेष के लिए प्रयुक्त समानार्थक शब्दों को पर्यायवाची शब्द कहते हैं। यद्यपि पर्यायवाची शब्दों के अर्थ में समानता होती है, लेकिन प्रत्येक शब्द की अपनी विशेषता होती है और भाव में एक-दूसरे से किंचित भिन्न होते हैं। पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग करते हुए विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। अत: पर्यायवाची का अर्थ है - समान अर्थ देने वाल़ा । हिन्दी भाषा में एक शब्द के समान अर्थ वाले कई शब्द हमें मिल जाते हैं।
वर्णमाला क्रमानुसार पर्यायवाची शब्द

• अंधकार- तम, तिमिर, तमिस्र, अँधेरा।
• अतिथि- मेहमान, अभ्यागत, आगन्तुक, पाहूना।
• अनुपम- अपूर्व, अतुल, अनोखा, अदभुत, अनन्य।
• अमृत- सुधा, अमिय, पीयूष, सोम, मधु, अमी।
• अर्थ- धन्, द्रव्य, मुद्रा, दौलत, वित्त, पैसा।
• अश्व- हय, तुरंग, बाजी, घोड़ा, घोटक।
• असुर- दैत्य, दानव, राक्षस, निशाचर, रजनीचर, दनुज, रात्रिचर।
• अहंकार- दंभ, गर्व, अभिमान, दर्प, मद, घमंड।

• आँख- लोचन, नयन, नेत्र, चक्षु, दृग, विलोचन, दृष्टि, अक्षि।
• आंसू- नेत्रजल, नयनजल, चक्षुजल, अश्रु।
• आकाश- नभ, गगन, अम्बर, व्योम, अनन्त, आसमान, अंतरिक्ष, शून्य, अर्श।
• आग- अग्नि, अनल, हुतासन, पावक, दहन, ज्वलन, धूमकेतु, कृशानु, वहनि, शिखी, वह्नि।
• आत्मा- जीव, देव, चैतन्य, चेतनतत्तव, अंतःकरण।
• आनंद- हर्ष, सुख, आमोद, मोद, प्रमोद, उल्लास।
• आम- रसाल, आम्र, सौरभ, मादक, अमृतफल, सहुकार।
• आश्रम- कुटी, विहार, मठ, संघ, अखाडा।

• इच्छा- अभिलाषा, अभिप्राय, चाह, कामना, लालसा, मनोरथ, आकांक्षा, अभीष्ट।
• इन्द्र- सुरेश, सुरेन्द्र, देवेन्द्र, सुरपति, शक्र, पुरंदर, देवराज।

• ईश्वर- परमात्मा, प्रभु, ईश, जगदीश, भगवान, परमेश्वर, जगदीश्वर, विधाता।



• ओंठ- ओष्ठ, अधर, होठ।



• कपड़ा- चीर, वसन, पट, अंशु, कर, मयुख, वस्त्र, अम्बर, परिधान।
• कमल- नलिन, अरविन्द, उत्पल, राजीव, पद्म, पंकज, नीरज, सरोज, जलज, जलजात।
• कान- कर्ण, श्रुति, श्रुतिपटल।
• किताब- पोथी, ग्रन्थ, पुस्तक।
• किरण- ज्योति, प्रभा, रश्मि, दीप्ति, मरीचि।
• किसान- कृषक, भूमिपुत्र, हलधर, खेतिहर, अन्नदाता।
• कृपा- प्रसाद, करुणा, दया, अनुग्रह।
• कृष्ण- राधापति, घनश्याम, वासुदेव, माधव, मोहन, केशव, गोविन्द, गिरधारी।
• कोयल- कोकिला, पिक, काकपाली, बसंतदूत, सारिका, कुहुकिनी, वनप्रिया।
• क्रोध- रोष, कोप, अमर्ष, कोह, प्रतिघात।

• गंगा- देवनदी, मंदाकनी, भगीरथी, विश्नुपगा, देवपगा, ध्रुवनंदा, सुरसरिता, देवनदी, जाह्नवी, त्रिपथगा।
• गणेश- विनायक, गजानन, गौरीनंदन, गणपति, गणनायक, शंकरसुवन, लम्बोदर, महाकाय।
• गर्मी- ताप, ग्रीष्म, ऊष्मा, गरमी, निदाघ।
• गाय- गौ, धेनु, सुरभि, भद्रा, रोहिणी।
• गृह- घर, सदन, गेह, भवन, धाम, निकेतन, निवास, आलय, आवास, निलय, मंदिर।


• चंद्रमा- चाँद, हिमांशु, इंदु, विधु, तारापति, चन्द्र, शशि, हिमकर, राकेश, रजनीश, निशानाथ, सोम, मयंक, सारंग, सुधाकर, कलानिधि।
• चरण- पद, पग, पाँव, पैर।


• जंगल- विपिन, कानन, वन, अरण्य, गहन, कांतार, बीहड़, विटप।
• जल- अमृत, सलिल, वारि, नीर, तोय, अम्बु, उदक, पानी, जीवन, पय, पेय।
• जेवर - गहना, अलंकार, भूषण, आभरण, मंडल।

• झूठ- असत्य, मिथ्या, मृषा, अनृत।




• तालाब- सरोवर, जलाशय, सर, पुष्कर, पोखरा, जलवान, सरसी।

• दरिद्र- निर्धन, ग़रीब, रंक, कंगाल, दीन।
• दर्पण- शीशा, आरसी, आईना, मुकुर।
• दास- सेवक, नौकर, चाकर, परिचारक, अनुचर।
• दिन- दिवस, याम, दिवा, वार, प्रमान।
• दुःख- पीड़ा,कष्ट, व्यथा, वेदना, संताप, शोक, खेद, पीर, लेश।
• दुर्गा- चंडिका, भवानी, कुमारी, कल्याणी, महागौरी, कालिका, शिवा।
• दुष्ट- पापी, नीच, दुर्जन, अधम, खल, पामर।
• दूध- दुग्ध, क्षीर, पय।
• देवता- सुर, देव, अमर, वसु, आदित्य, लेख। ध
• धनुष- चाप्, शरासन, कमान, कोदंड, धनु।
• धन- दौलत, संपत्ति, सम्पदा, वित्त।
• धरती- धरा, धरती, वसुधा, ज़मीन, पृथ्वी, भू, भूमि, धरणी, वसुंधरा, अचला, मही, रत्नवती, रत्नगर्भा।

• नदी- सरिता, तटिनी, सरि, सारंग, जयमाला, तरंगिणी, दरिया, निर्झरिणी।
• नया- नूतन, नव, नवीन, नव्य।
• नाव- नौका, तरणी, तरी।

• पक्षी- खेचर, दविज, पतंग, पंछी, खग, चिडिया, गगनचर, पखेरू, विहंग, नभचर।
• पति- स्वामी, प्राणाधार, प्राणप्रिय, प्राणेश, आर्यपुत्र।
• पत्नी- भार्या, वधू, वामा, अर्धांगिनी, सहधर्मिणी, गृहणी, बहु, वनिता, दारा, जोरू, वामांगिनी।
• पवन- वायु, हवा, समीर, वात, मारुत, अनिल, पवमान, समीरण, स्पर्शन।
• पहाड़- पर्वत, गिरि, अचल, शैल, धरणीधर, धराधर, नग, भूधर, महीधर।
• पुत्री- बेटी, आत्मजा, तनूजा, सुता, तनया।
• पुत्र- बेटा, आत्मज, सुत, वत्स, तनुज, तनय, नंदन।
• पुष्प- फूल, सुमन, कुसुम, मंजरी, प्रसून, पुहुप।


• बन्दर- वानर, कपि, कपीश, हरि।
• बादल- मेघ, घन, जलधर, जलद, वारिद, नीरद, सारंग, पयोद, पयोधर।
• बालू- रेत, बालुका, सैकत।
• बिजली- घनप्रिया, इन्द्र्वज्र, चंचला, सौदामनी, चपला, दामिनी, ताडित, विद्युत।

• भूषण- जेवर, गहना, आभूषण, अलंकार।

• मछली- मीन, मत्स्य, जलजीवन, शफरी, मकर।
• मदिरा- शराब, हाला, आसव, मधु, मद।
• मधु- शहद, रसा, शहद, कुसुमासव।
• मनुष्य- आदमी, नर, मानव, मानुष, मनुज।
• माता- जननी, माँ, अंबा, जनयत्री, अम्मा।
• मित्र- सखा, सहचर, साथी, दोस्त।
• मृग- हिरण, सारंग, कृष्णसार।
• मोर- केक, कलापी, नीलकंठ, नर्तकप्रिय।


• राजा- नृप, नृपति, भूपति, नरपति, नृप, भूप, भूपाल, नरेश, महीपति, अवनीपति।
• रात- रात्रि, रैन, रजनी, निशा, यामिनी, तमी, निशि, यामा, विभावरी।

• लक्ष्मी- कमला, पद्मा, रमा, हरिप्रिया, श्री, इंदिरा।

• विष्णु- नारायण, दामोदर, पीताम्बर, चक्रपाणी।
• विष- जहर, हलाहल, गरल, कालकूट।
• वृक्ष- पेड़, पादप, विटप, तरू, गाछ, दरख्त, शाखी, विटप, द्रुम।

• शत्रु- रिपु, दुश्मन, अमित्र, वैरी, अरि, विपक्षी, अराति।
• शरीर- देह, तनु, काया, कलेवर, अंग, गात।
• शिक्षक- गुरु, अध्यापक, आचार्य, उपाध्याय।
• शिव- भोलेनाथ, शम्भू, त्रिलोचन, महादेव, नीलकंठ, शंकर।
श्र


• संसार- जग, विश्व, जगत, लोक, दुनिया।
• समुद्र- सागर, पयोधि, उदधि, पारावार, नदीश, जलधि, सिंधु, रत्नाकर, वारिधि।
• समूह- दल, झुंड, वृंद, गण, पुंज।
• साँप- अहि, भुजंग, ब्याल, सर्प, नाग, विषधर, उरग, पवनासन।
• सिंह- केसरी, शेर, महावीर, हरि, मृगपति, वनराज, शार्दूल, नाहर, सारंग, मृगराज।
• सुगंधि- सौरभ, सुरभि, महक, खुशबू।
• सूर्य- रवि, सूरज, दिनकर, प्रभाकर, आदित्य, दिनेश, भास्कर, दिवाकर।
• सोना- स्वर्ण, कंचन, कनक, हेम, कुंदन।
• स्त्री- नारी, महिला, अबला, ललना, औरत, कामिनी, रमणी।
• स्वर्ग- सुरलोक, देवलोक, परमधाम, त्रिदिव, दयुलोक।

• हाथी- नाग, हस्ती, राज, कुंजर, कूम्भा, मतंग, वारण, गज, द्विप, करी, मदकल।
• हाथ- हस्त, कर, पाणि।
• हिमालय- हिमगिरी, हिमाचल, गिरिराज, पर्वतराज, नगेश।
• हृदय- छाती, वक्ष, वक्षस्थल, हिय, उर।
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