गुरुवार, 16 मार्च 2017

नाहिदा के खिलाफ फतवा नहीं दिया किसी भी मुफ्ती ने

- किसी भी अपील को नहीं कहा जा सकता फतवा - झूठा प्रचार कर मुसलमानों को बदनाम करने की साजिश - मीडिया में चल रही खबरों में सच्चाई नहीं नई दिल्ली। जूनियर इंडियन आइडल की फस्र्ट रनर अप रहीं नाहिद आफरीन के खिलाफ जारी 46 फतवे वाली खबर गलत है क्योंकि कोई भी अपील फतवा नहीं हो सकती। इस तरह का झूठा प्रचार कर मुसलमानों को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। नाहिद आफरीन के मामले में असम के जमीयते उलेमा के सचिव मौलवी फजलूल करीम कासिमी ने कहा कि इस मामले में कोई फतवा जारी नहीं किया गया है। उनका कहना है कि क्या कागज के एक टुकड़े पर एक फतवा जारी किया जाता है? मौलवी फजलूल करीम कासिमी ने जोर दिया कि हमारे समुदाय को आफरीन पर गर्व है। इससे पहले मीडिया ने एक खबर चलाई थी जिसमे दावा किया गया था कि नाहिद के खिलाफ 46 धर्मगुरु ने फतवा जारी किया है लेकिन बाद में ये खबर गलत साबित हुई। बहरहाल आपको बता देते हैं कि फतवा क्या है? इस्लाम में फतवा किसी मुद्दे पर सिर्फ एक मजहबी राय है जो स्वयं या किसी शख्स द्वारा मांगने पर दी जाती और किसी भी शख्स के लिए इसका मानना जरूरी नहीं है और हां, इसे जारी करने वाले के लिए एक खास विधा (फतवा देने के लिए मुफ्ती की पढाई करनी पड़ती है) का जानना जरूरी है, फतवा देने वाले को मुफ्ती कहते हैं। फतवा यानी राय जो किसी को तब दी जाती है जब वह अपना कोई निजी मसला लेकर मुफ्ती के पास जाए। फतवा का शाब्दिक अर्थ असल में सुझाव ही है और इसका मतलब यह है कि कोई इसे मानने के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं है। यह सुझाव भी सिर्फ उसी व्यक्ति के लिए होता है और वह भी उसे मानने या न मानने के लिए आजाद होता है। चलते-फिरते किसी की बात या अपील को फतवा नहीं कहा जा सकता।

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