उत्तर भारत में छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं में एचआईवी के मामले बढ़ रहे हैं। इसके मद्देनजर संसद की एक समिति ने एड्स नियंत्रण विभाग से स्थिति पर कड़ी नजर रखने और इसका प्रसार रोकने के लिए ठोस कदम उठाने को कहा है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से संबद्ध संसद की स्थायी समिति की हाल ही में राज्यसभा में पेश एक रिपोर्ट में कहा गया कि समिति उत्तर भारत के ऐसे राज्यों में बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं में एड्स के बढ़ते मामलों से चितिंत है, जहाँ एचआईवी-एड्स का प्रभाव कम है।
समिति ने कहा कि वह ऐसा भी मानती है कि एचआईवी पॉजिटिव महिलाओं का पता लगाने के मामले में विभाग के सक्रिय प्रयासों के कारण भी ऐसे राज्यों में एचआईवी पॉजिटिव माँओं की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है, जहाँ एड्स का प्रसार और प्रभाव आम तौर पर अब तक कम पाया जाता था।
इसने कहा कि विभाग को एचआईवी के बढ़ते मामलों के मद्देनजर स्थिति पर कड़ी नजर रखनी चाहिए और इसे रोकने के प्रभावी उपाय करने चाहिए।
समिति ने कहा कि उसे उन छोटे बच्चों की हालत से काफी पीड़ा है, जिन्हें लंबे समय तक एआरटी इलाज की जरूरत होती है। इसने सिफारिश की है कि एड्स नियंत्रण विभाग को ऐसे एचआईवी पॉजिटिव बच्चों का पता लगाकर उन्हें पूरा इलाज और मदद मुहैया करानी चाहिए। (भाषा)
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