शुक्रवार, 24 मई 2013

क्या यीशु भगवान हैं?


क्या आप कभी ऐसे व्यक्ति से मिले हैं, जो कहीं भी जाने पर आकर्षण का केंद्र बना रहता है? कुछ गूढ़, अवर्णनीय विशेषताएँ उन्हें बाकी सभी मनुष्यों से अलग करती है। दो हजार वर्ष पूर्व ईसा मसीह की स्थिति कुछ ऐसी ही थी। लेकिन यह केवल यीशु का व्यक्तित्व नहीं था, जिसने उनसे प्रेम करने वाले लोगों का मंत्रमुग्ध किया। उनके वचनों और जीवन के साक्षी व्यक्ति हमें बताते हैं कि नाज़ारेथ के यीशु में कुछ बातें ऐसी थीं, जो शेष लोगों से अलग थीं। यीशु का एकमात्र परिचय पत्र वे स्वयं थे। उन्होंने कोई पुस्तक नहीं लिखी, किसी सेना का नेतृत्व नहीं किया, किसी राजनीतिक कार्यालय में नहीं रहे, या किसी संपत्ति के मालिक थे। उन्होंने अधिकतर अपने गाँव से सैकड़ों मील के अंदर ही यात्रा की, और उन लोगों को आकर्षित किया, जो उनके उत्तेजक शब्दों और तेजस्वी कार्यों से चकित हो जाते थे। इसके बावजूद यीशु को देखने और सुनने वालों के लिए उनकी महानता प्रत्यक्ष थी। और यद्यपि अधिकतर महान लोग अंततः इतिहास के पन्नों में खो जाते हैं, यीशु अभी भी हज़ारों पुस्तकों और अद्वितीय मीडिया विवाद के केंद्र बने हुए हैं। और उनमें से अधिकतर विवाद यीशु के स्वयं के बारे में किए गए मौलिक दावों के इर्दगिर्द घूमते हैं—वे दावे, जिन्होंने उनके अनुयायियों और विरोधियों दोनों को विस्मित किया। ये यीशु के अनूठे दावे ही थे, जिनके कारण रोमन अधिकारी और यहूदी पुरोहित दोनों उन्हें खतरे की तरह देखने लगे। हालांकि, वे बिना प्रत्यायक या राजनीतिक आधार वाले बाहरी व्यक्ति थे, तीन वर्षों के अंदर ही, यीशु ने अगली 20 सदियों के लिए दुनिया को बदल दिया। अन्य नैतिक एवं धार्मिक नेताओं ने भी प्रभाव छोड़ा है—लेकिन नाज़ारेथ के अज्ञात बढ़ई के बेटे जैसा नहीं। ईसा मसीह के बारे में ऐसी क्या बात थी जिसने यह अंतर पैदा किया? क्या वे केवल एक महान व्यक्ति थे, या इससे अधिक कुछ और भी थे? ये प्रश्न इस बात के केंद्र तक पहुँचते हैं कि यीशु वाकई में कौन थे। कुछ लोगों का विश्वास है कि वे एक महान नैतिक गुरु थे, अन्यों का मानना है कि वे बस दुनिया के सबसे बड़े धर्म के नेता थे। लेकिन अनेक व्यक्ति इनसे ज्यादा चीज़ों पर विश्वास करते हैं। ईसाईयों का विश्वास है कि वास्तव में ईश्वर मानव रूप में हमारे बीच आए। और उनका मानना है कि प्रमाण इन बातों का समर्थन करते हैं। यीशु के जीवन और कथनों का ध्यानपूर्वक जाँच करने के बाद, कैम्ब्रिज के पूर्व प्रोफेसर और संशयवादी, सी. एस. लुईस उनके बारे में एक चौंकाने वाले निष्कर्ष पर पहुँचे जिसने उनका जीवन ही बदल दिया। तो यीशु वाकई में कौन थे? अनेक लोगों उत्तर देंगे कि यीशु एक महान नैतिक गुरु थे। जिस समय हम विश्व के सबसे विवादास्पद व्यक्ति पर गहरी नज़र डालते हैं, हम निम्न प्रश्न पूछ कर आरंभ करते हैं: क्या यीशु केवल एक महान नैतिक गुरु ही थे?

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें