कीमोथैरेपी और रेडियोथैरेपी में हुई गुणात्मक प्रगति की वजह से कैंसर कोशिकाओं पर चौतरफा हमला करना संभव हो गया है। अब दोनों इलाज एक साथ देना संभव होने से कैंसर के ठीक होने की संभावना बढ़ गई है। रेडियोथैरेपी व सर्जरी के फायदे बराबर हो गए हैं। ब्रैकीथैरेपी के जरिए बच्चेदानी के कैंसर में अब ट्यूब को सीधे यूटेरस में डालकर एक्स-रे कैंसर कोशिकाओं को मार सकते हैं। लेकिन यह ध्यान रहे कि इलाज की ये सारी विधियाँ तभी कारगर होंगी, जब कैंसर को पहले चरण में ही पकड़ लें। ज्यों-ज्यों मरीज दूसरे, तीसरे और चौथे चरण में प्रवेश करता चला जाएगा, ठीक होने की संभावना घटती चली जाएगी। कैंसर के चौथे चरण में तो पहले मरीजों के बचने की कोई संभावना नहीं होती थी, लेकिन अब अत्याधुनिक इलाजों की वजह से 5 से 10 प्रतिशत चौथे चरण के मरीज भी बच रहे हैं।अब कैंसर के इलाज का एकदम नया युग आ गया है। कैंसर कोशिकाओं पर बिना किसी दुष्प्रभावों के हमला करना संभव हो गया है। इससे अब कैंसर के ज्यादा मरीज ठीक होने लगे हैं। यहाँ तक कि इलाज के क्षेत्र में हुई ताजी प्रगति से अंतिम चरण में पहुँचे 10 प्रतिशत मरीजों को बचाना भी संभव हो गया है। अब कैंसर का मतलब मौत का फरमान कतई नहीं रह गया है। कीमोथैरेपी से स्वस्थ कोशिकाएँ सुरक्षित कैंसर की कोशिकाओं को मारने की दवा जहर होती है। इसलिए दवा से इलाज की विधि कीमोथैरेपी को अभी भी 'रोग से अधिक खतरनाक इलाज' के नजरिए से देखा जाता रहा है, लेकिन अब कीमोथैरेपी का डर बेमानी है। पहले इन जहरीली दवाओं का असर शरीर के हर आवश्यक अंग पर होता था। उल्टी से मरीज परेशान रहते थे, शरीर काला पड़ जाता था, शरीर में खून की कमी हो जाती थी और संक्रमण लगने का डर बना रहता था। अब बाजार में ऐसी दवाइयाँ आ गई हैं, जो केवल कैंसर की कोशिकाओं पर ही वार करती हैं। शरीर के दूसरे हिस्से प्रभावित नहीं होते हैं। अब तो बाजार में कैंसर की1-2 'नैनो मेडिसिन' भी आ गई है। एक नैनो दवा का नाम है पैक्लीटैक्सल, जो केवल कैंसर कोशिकाओं को ही मारती है। लेकिन अभी भी आम लोगों के मन से कीमोथैरेपी का डर दूर नहीं हुआ है। आम लोगों की बात तो छोड़िए, सामान्य डॉक्टरों को भी इसकी जानकारी नहीं है कि कीमोथैरेपी अब हानिरहित हो गई है। कीमोथैरेपी के दौरान बाल जरूर झड़ जाते हैं, लेकिन वह भी अस्थायी होता है। इसके अलावा अब उल्टी व खून की कमी रोकने की बेहद प्रभावी दवाइयाँ आ गई हैं। इसलिए बिना किसी साइड इफेक्ट के पर्याप्त दवा का प्रयोग हो सकता है। पहले जहरीले प्रभाव के हर से पूरी दवा नहीं दी जाती थी।
NDरेडियोलॉजी भी हानिरहित कैंसर के इलाज की दूसरी विधि रेडियोलॉजी के क्षेत्र में भी काफी उन्नति हुई है। अब एक्स-रे किरणें आसपास की स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान नहीं पहुँचा पातीं। अब यह विधि भी बेहद सुरक्षित हो गई। रेडियोथैरेपी की एक मशीन है लिनियर एक्सेलेटर जिसमें सीटी स्कैन लगा होता है। इससे कैंसर प्रभावित पूरे क्षेत्र में बिना किसी जोखिम के एक्स-रे भेजी जाती है। 'पारानैजल साइनस' कैंसर के इलाज में दोनों आँखों के बीच की जगह में एक्स-रे किरणें भेजकर कैंसर कोशिकाओं को मारा जा रहा है। आँखों को कोई क्षति नहीं पहुँचती। प्रभावित क्षेत्र में रेडिएशन थैरेपी व पर्याप्त एक्स-रे किरणें देने में अब कोई खतरा नहीं रह गया है। सर्जरी भी बेहद सटीक अब कैंसर के ट्यूमर के साथ पूरे अंग को काटकर अलग करने की जरूरत नहीं रह गई है। जैसे, पहले ब्रेस्ट कैंसर होने पर पूरे ब्रेस्ट को काटकर निकालना पड़ता था, लेकिन अब सिर्फ ट्यूमर को ही निकाला जाता है। असहनीय दर्द से राहत कैंसर के चौथे चरण में मरीज को बचाना लगभग असंभव हो जाता है, लेकिन मरीज जब तक जीवित रहता है उससे असहनीय दर्द होता है। इस स्टेज में इलाज का मतलब सिर्फ मरीज को इस दर्द से राहत देना होता है। अब इसके लिए भी प्रभावी दवा आ गई है। आजकल ट्रांसडर्मल पैच के रूप में एक दवा आई है। इसे पूरे शरीर में लेप कर देने से 72 घंटों के लिए दर्द से राहत मिल जाती है। कोई दवा या सुई लेने की जरूरत नहीं होती। डॉ. दिनेश सिंह
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