दिल्ली की आधी आबादी झुग्गी झोपड़ियाँ और अनधिकृत कॉलानियों में रहती है। ये बात दिल्ली नगर निगम ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में कही है।
दिल्ली नगर निगम का कहना है कि दिल्ली की 49 फीसदी आबादी झुग्गी बस्तियों, अनधिकृत कॉलोनियों और 860 झुग्गी- झोपड़ी क्लस्टर में रहती है।
नगर निगम का कहना है कि लगभग 20 हजार झुग्गियाँ हैं और हर झुग्गी में औसतन पाँच लोग रहते हैं। इसके अलावा अनधिकृत कॉलोनियों में भी बड़ी संख्या में लोग रहते हैं।
दिल्ली उत्तर भारत का प्रमुख व्यापारिक केंद्र है और ऐसे लोगों की बड़ी संख्या है जो यहाँ आते-जाते रहते हैं। एमसीडी ने माना है कि इन इलाकों में कूड़े को इकट्ठा करने, उसे ले जाने और ठिकाने लगाने का कोई व्यवस्थित इंतजाम नहीं है।
हलफनामे में कहा गया है कि एक अनुमान के अनुसार दिल्ली की केवल पाँच फीसदी आबादी योजनाबद्ध और विकसित क्षेत्र में रहती है।
माना जाता है कि दिल्ली की आबादी लगभग डेढ़ करोड़ है और अगर दिल्ली नगर निगम के हिसाब से देखा जाए तो इसमें से लगभग 70 लाख लोग झुग्गियों और अनधिकृत बस्तियों में रहते हैं। यानि केवल साढ़े सात लाख लोग दिल्ली की सारी व्यवस्थाओं का लाभ उठा पाते हैं।
कचरा बना समस्या : नगर निगम ने माना है कि दिल्ली में कचरे को ठिकाने लगाना भी बड़ी समस्या है।
हलफनामे में कहा गया है कि पूर्वी दिल्ली में गाजीपुर, उत्तरी दिल्ली में करनाल रोड और दक्षिणी दिल्ली में आनंदमई रोड स्थित ठोस कचरा ठिकाने लगाने वाले स्थल लगभग भर चुके हैं और यहाँ भारी कठिनाई पेश आ रही है।
नगर निगम का कहना है कि और स्थान न होने के कारण अब भी इन स्थानों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि हाल में उद्योग और वाणिज्य संगठन फिक्की ने एक अध्ययन किया था जिसके अनुसार भारत के सभी शहरों में दिल्ली सबसे ज्यदा ठोस कचरा पैदा करता है।
सबसे बड़ी चिंता ये है कि ठोस कचरे को ठिकाना लगाने का तरीका बहुत ही पुराना है जिससे गंदगी और प्रदूषण और बढ़ने का खतरा है। फिक्की के अनुसार दिल्ली में हर दिन 6800 टन ठोस कचरा पैदा होता है।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली में तीन एजेंसियाँ काम करती हैं जिनमें नगर निगम, नई दिल्ली नगरपालिका और दिल्ली छावनी बोर्ड शामिल है। लेकिन सबसे अधिक क्षेत्र लगभग 1400 वर्ग किलोमीटर दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आता है।
दिल्ली नगर पालिका और दिल्ली छावनी बोर्ड के अधीन केवल 42 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र आता है।
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