शुक्रवार, 9 अप्रैल 2010

बस, सिर्फ एक 'गोली' हो सकती है खतरनाक

आपात-गोली आफत की गोली ना बन जाए।
यदि यौन संबंध के समय कंडोम या अन्य कोई साधन असफल हो जाए या महिला के साथ जबर्दस्ती की जाए (जैसे बलात्कार) या परिवार नियोजन के साधन इस्तेमाल न करने की भूल हो जाए तो 72 घंटों के भीतर दवा लेकर गर्भ ठहरने से रोका जा सकता है। इसे आपात गर्भ निरोध कहते हैं। आपात गर्भनिरोध के साधन यह भ्रम फैल रहा है कि विज्ञापन में दिखाई जा रही दवा ही आपात गर्भ निरोध की एकमात्र दवा है। यह सही नहीं है। आपात गर्भ निरोध के तीन अन्य साधन हैं : लिवोनॉरजेस्ट्रॉन की एक गोली। यह दवाई की दुकानों पर उपलब्ध होती है। लिवोनॉरजेस्ट्रॉन की 1।5 मिलीग्राम की गोली यौन संबंध के बाद 72 घंटों के भीतर (अच्छा हो कि 12 घंटों के भीतर) ली जाए, तो गर्भ ठहरने से रोका जा सकता है। एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरॉन की गोलियाँ। ये माला-डी के नाम से सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में मिलती हैं। बाजार में मिलने वाली लिवोनॉरजेस्ट्रॉन की गोली और माला-डी में बहुत अधिक फर्क नहीं है। यौन संबंध के बाद 72 घंटों के भीतर माला-डी की दो गोलियाँ दो बार, 12 घंटों के अंतराल से ली जाती हैं। परिवार नियोजन का कॉपर टी नामक साधन। यह भी सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में लगाया जाता है। कई महिलाएँ आर्थिक रूप से इतनी सक्षम नहीं होतीं कि वे बाजार से गोली खरीद सकें। ऐसी महिलाओं के लिए माला-डी और कॉपर-टी सबसे अच्छे विकल्प हैं क्योंकि ये सरकारी अस्पतालों में मुफ्त मिलते हैं। कॉपर टी का अतिरिक्त फायदा यह होता है कि यौन संबंध के पाँच दिन बाद तक इसे लगाया जा सकता है। इसके कारण उसी ऋतु चक्र में या उसके बाद भी गर्भ को ठहरने से रोका जा सकता है। अगला ऋतु चक्र आने के बाद कॉपर टी को निकाला जा सकता है। क्रियाविधि अंडाशय में से अंडाणु बाहर आने की प्रक्रिया को ये गोलियाँ धीमा कर देती हैं या पूरी तरह रोक देती हैं। फिर भी यदि अंडाणु और शुक्राणु का मिलन हो जाए तो इन गोलियों के कारण गर्भाशय की भीतरी दीवारी में ऐसे बदलाव हो जाते हैं जिनके कारण गर्भ ठहर नहीं पाता क्योंकि निषेचित भ्रूण गर्भाशय की दीवार से चिपक ही नहीं पाता। ध्यान में रखने की बात यह है कि गर्भ ठहर जाने के बाद ये गोलियाँ काम नहीं करतीं मतलब ये गर्भ निरोधक गोलियाँ हैं, ठहरे हुए गर्भ को समाप्त करने (गर्भपात) की नहीं। एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि यौन संबंध के 12 घंटों के भीतर ये गोलियाँ ली जाएँ तो गर्भ न ठहरने की संभावना 95 प्रतिशत होती है। यदि गोलियाँ 47 से 61 घंटों के भीतर ली जाएँ तो गर्भ न ठहरने की संभावना केवल 47 प्रतिशत रह जाती है। यदि महिला ये गोलियाँ ले और वे असफल हो जाएँ तो उसके बच्चे में कई प्रकार की विकृतियाँ हो सकती हैं : उसकी योनि (यदि बच्चा मादा है) की पेशियों में कमजोरी, शरीर के अन्य अंगों में विकृतियाँ, कैंसर या हृदय रोग हो सकता है। कौन-सी माँ अपने बच्चे में इस प्रकार की विकृतियाँ देखना चाहेगी? अन्य सावधानियाँ कई लोगों को यह पता नहीं होता कि यह गोली केवल एक ही बार गर्भधारण से बचाव कर सकती है। यदि दोबारा असुरक्षित यौन संबंध हो जाए तो फिर से गोली लेना जरूरी होता है। एक अन्य खतरा यह होता है कि यदि गोली असफल हो जाए तो ठहरने वाला गर्भ माँ के पेट में, गर्भाशय के बाहर कहीं भी ठहर सकता है। इससे उस महिला की जान को गंभीर खतरा हो सकता है। अतः अगर गोली लेने के बाद दो सप्ताह के भीतर पेट में तेज दर्द उठे तो बिना देर किए डॉक्टर के पास जाना चाहिए। परेशानियाँ जी मिचलाना- 20 प्रतिशत महिलाओं को पहले 24 घंटों में यह परेशानी होने लगती है। यदि गोली को दूध या भोजन के साथ लिया जाए और उल्टी न होने की दवा ली जाए तो यह परेशानी काफी कम की जा सकती है। उल्टियाँ - पाँच प्रतिशत महिलाओं को यह परेशानी हो सकती है। यदि गोली लेने के दो घंटों के भीतर उल्टी हो जाए तो गोली फिर से लेना जरूरी होता है। अनियमित मासिक धर्म - ये गोलियाँ लेने के बाद कुछ माह तक मासिक धर्म अनियमित हो सकता है या मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव की शिकायत हो सकती है। इनके अलावा सिरदर्द, चक्कर आना, थकान और स्तनों में दर्द की भी समस्या आ सकती है। कौन न लें? जिन्हें हृदय की बीमारी है।जिन्हें मस्तिष्क या शरीर के अन्य किसी भाग में रक्त का थक्का जमने की बीमारी है। माइग्रेन के मरीजजिन्हें एंजाइमा की शिकायत हैजिन्हें लीवर की कोई बीमारी हैबार-बार लेने पर इन दवाओं को बार-बार लेने के घातक परिणाम हो सकते हैं। स्त्रियों के प्रजनन अंगों पर इनका विपरीत प्रभाव पड़ता है। उपयोग करने के इच्छुक व्यक्तियों को चाहिए कि वे डॉक्टर से दवाओं के खराब असर, इनके असफल होने की संभावना, और गर्भाशय से बाहर गर्भ धारण की संभावना के बारे में जानकारी प्राप्त कर लें। यदि अगला मासिक धर्म न आए या मासिक धर्म के समय बहुत अधिक खून बहने लगे तो दोबारा डॉक्टर से जाँच करवाना चाहिए।

डॉक्टर से जाँच करवाकर यह सुनिश्चित कर लें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार महिला इस दवा को लेने के लिए सक्षम है या नहीं। आपात गर्भ निरोधक गोलियों का विज्ञापन जिस तरह से किया जा रहा है उससे समाज में और विशेष रूप से युवा वर्ग में यह भ्रांति फैल रही है कि बिना किसी डर के यौन संबंध बनाए जाओ। गोली है ना! लेकिन ऐसा नहीं है। एक वाहन पर लिखा था, 'सबसे अच्छा ब्रेक- मन का ब्रेक'। यही बात यौन संबंधों पर भी लागू होती है। युवाओं को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि आपात गोली की जरूरत न पड़े। ऐसा न हो कि आपात गोली आफत की गोली बन जाए।

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