इंफ्लुएंजा ए (एच 1 एन 1) एक इंफ्लुएंजा वायरस है, जिससे लोगों में बीमारी और मौत हो सकती है। इसे पहले स्वाइन फ्लू के नाम से जाना जाता था। यह बीमारी अप्रैल 09 में मेक्सिको से शुरू हुई, तब से यह वायरस दुनिया भर के अनेक देशों में फैल गया है। प्रारंभिक प्रयोगशाला परीक्षणों से पता चलता है कि इस वायरस के कई जीन्स उत्तरी अमेरिका के सुअरों में पाए जाने वाले जीनों के समान है, इसी लिए इस रोग को मूलत: स्वाइन फ्लू कहा जाता था। आगे चल कर कुछ अन्य परीक्षणों से यह सिद्ध हुआ है कि इस वायरस में सुअरों के जीन के हिस्से होने के साथ कुछ पक्षियों और मानव फ्लू वायरस के समान जीन भी पाए जाते हैं। इस जानकारी के निर्णय से वैज्ञानिकों ने इसके पिछले नाम को हटाकर अब से ‘इंफ्लुएंजा ए (एच 1 एन 1)’ किया है।
इंफ्लुएंजा ए (एच 1 एन 1) के लक्षण
इंफ्लुएंजा ए (एच 1 एन 1) के लक्षण नियमित मौसमी फ्लू के लक्षणों के समान होते हैं। जिन लोगों को यह बीमारी होती है उन्हें बुखार, खांसी, गले में खराश, शरीर में दर्द, सिर में दर्द, कंपकंपी और थकान महसूस हो सकती है। कुछ रोगियों को दस्त और उल्टी आने की समस्या भी हो सकती है।
ऐसा माना जाता है कि फ्लू का वायरस उन छोटी छोटी बूंदों के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है जो संक्रमित व्यक्ति की नाक या मुंह से छींक या खांसी के दौरान बाहर आती हैं। इस रोग के साथ सुअरों का कोई लेना देना नहीं है। यदि सुअर के मांस से बने उत्पादों को अच्छी तरह पका कर खाया जाए तो सुअरों से डरने की कोई जरूरत नहीं है।
सामान्य सावधानियां
वायरस के संक्रमण से बचने के लिए ये कुछ सावधानियां हैं
जब भी आप छींकें या खांसें तो मुंह और नाक पर टिश्यू रखें। इस टिश्यू को उपयोग के बाद फेंक दें।
खांसने और छींकने के बाद अपने हाथ अच्छी तरह धो लें।
अपनी आंखों, नाक और मुंह को छूने से बचें, क्योंकि ऐसा करने से कीटाणु फैलते हैं।
सांस की बीमारी वाले रोगियों से दूर रहें।
यदि किसी व्यक्ति को इंफ्लुएंजा के समान लक्षण दिखाई देते हैं तो उसे लोगों से संपर्क नहीं करना चाहिए और घर पर ही रहना चाहिए। जबकि, श्वसन तनाव के मामले में उसे देर किए बिना नजदीकी अस्पताल में जाना चाहिए।
अपने स्वास्थ्य की देखभाल करें, अच्छी तरह नींद लें, नियमित रूप से व्यायाम करें, तनाव का प्रबंधन करें, ढेर सारे तरल पदार्थ लें और पोषक भोजन लें।
फ्लू की परिस्थितियों की रोकथाम
आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा और होमियोपैथी विभाग (आयुष) (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) देश के विभिन्न भागों में एच1एन1 वायरस के मामलों की बढ़ती संख्या को देखकर चिंतित है। इसका विचार है कि आयुर्वेद /यूनानी हस्तक्षेप फ्लू के समान परिस्थितियों से निपटने के लिए व्यक्ति की प्रतिरक्षा को सुधारने में इस्तेमाल किए जा सकते हैं। इन उपायों को सामान्य स्वस्थ व्यक्तियों के साथ उन व्यक्तियों द्वारा भी अपनाया जा सकता है जिन्हें हल्का जुकाम, खांसी और शरीर में दर्द की समस्या है।
आयुष विभाग द्वारा आयुष हस्तक्षेपों का सुझाव देने के लिए विशेषज्ञों का एक समूह गठित किया गया है जो फ्लू जैसे रोगों की रोकथाम / इलाज में सहायक हैं। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों ने कुछ विशिष्ट उपाय अपनाने की सलाह दी है जैसे कि कफ पैदा करने वाले भोजन से परहेज जैसे दही, कोल्ड ड्रिंक, फलों के रस, आइसक्रीम, तथा ठण्डे पानी के स्थान पर गर्म पानी पीना और तुलसी, अदरक, काली मिर्च तथा गुडुची जैसी औषधियों से बने काढ़े का सुबह सेवन करना।
केन्द्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद (सीसीआरयूएम) (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) ने यूनानी विशेषज्ञों के साथ विस्तार से परामर्श किया है और कुछ निवारणात्मक उपाय जैसे काढ़े, चाय, अर्क, विशिष्ट यौगिक सूत्रणों का उपयोग करने, विशेष प्रकार के ‘रोगन’ स्थानीय रूप से लगाने तथा हल्का भोजन एवं व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने की सलाह दी है।
आयुर्वेद और यूनानी रोकथाम के उपायों (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) के बारे में कुछ उपयोगी सूचना इस प्रकार है।
फ्लू जैसी बीमारी को होमियोपैथी द्वारा भी रोका जा सकता है। केन्द्रीय होमियोपैथी अनुसंधान परिषद (सीसीआरएच) (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) ने ऐसी फ्लू जैसी स्थितियों के लिए सुरक्षा प्रदान करने हेतु होमियोपैथी दवाओं (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) की सिफारिश की है।
जबकि उन मामलों में जहां लोगों को गंभीर लक्षण (श्रेणी ख और ग)
विकसित हो जाते हैं, उन्हें सलाह दी जाती है कि वे इस प्रयोजन के लिए केन्द्र तथा राज्य सरकारों द्वारा स्थापित नामनिर्दिष्ट छानबीन केन्द्रों / अस्पतालों में जाएं। इस रोग के उपचार के लिए भारत में दवाएं उपलब्ध हैं। सरकार ने नामनिर्दिष्ट अस्पतालों में अनिवार्य निविदाओं की पर्याप्त मात्रा का प्रापण और भंडार किया है। नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने आप दवाएं लेकर सेवन नहीं करें, क्योंकि इससे उनके शरीर की आंतरिक प्रतिरक्षा शक्ति में कमी आएगी।
सरकार ने हवाई मार्ग, सड़क मार्ग या समुद्री रास्ते से प्रभावित देशों से आने वाले यात्रियों में इंफ्लुएंजा ए (एच 1 एन 1) का पता लगाने और उनके संगरोध की कार्यनीति भी तैयार की है। पूरे देश में छानबीन, परीक्षण और उपचार की एक मानक प्रक्रिया अपनाई जाएगी। यदि आपने पिछले 10 दिनों के दौरान प्रभावित देशों में से किसी देश की यात्रा की है और आपको इंफ्लुएंजा ए (एच 1 एन 1) के लक्षण दिखाए देते हैं तो कृपया नजदीकी अस्पताल में जाए।
अखिल भारतीय टोल फ्री हेल्पलाइन: 1075 और 1800-11-4377
महामारी निगरानी प्रकोष्ठ: 011-23921401
स्रोत: राष्ट्रीय पोर्टल विषयवस्तु प्रबंधन दल
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