रविवार, 12 सितंबर 2010

अल्लाह रक्खा रहमान(ए आर रहमान)


अल्लह रक्खा रहमान

जन्मनाम ए एस दिलीप कुमार
अन्य नाम ए आर रहमान
जन्म 6 जनवरी 1966 चेन्नई, तमिल नाडु, भारत
शैली फिल्मी संगीत, थियेटर, विश्व संगीत
व्यवसाय गीतकार, रिकार्ड निर्माता, संगीतकार, गायक, इंस्ट्रूमेंटलिस्ट, संगीत प्रबंधकर्ता, प्रोग्रामर
सक्रिय वर्ष १९८५-वर्तमान
जालपृष्ठ A. R. Rahman.com
अल्लाह रक्खा रहमान हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध संगीतकार हैं। इनका जन्म ६ जनवरी १९६७ को चेन्नै, तमिलनाडु, भारत में हुआ। जन्म के समय उनका नाम ए एस दिलीप कुमार था जिसे बाद में बदलकर वे ए आर रहमान बने। सुरों के बादशाह रहमान ने हिंदी के अलावा अन्य कई भाषाओं की फिल्मों में भी संगीत दिया है। टाइम्स पत्रिका ने उन्हें मोजार्ट ऑफ मद्रास की उपाधि दी। रहमान गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय हैं।[१] ए. आर. रहमान ऐसे पहले भारतीय हैं जिन्हें ब्रिटिश भारतीय फिल्म स्लम डॉग मिलेनियर में उनके संगीत के लिए तीन ऑस्कर नामांकन हासिल हुआ है।[२] इसी फिल्म के गीत जय हो..... के लिए सर्वश्रेष्ठ साउंडट्रैक कंपाइलेशन और सर्वश्रेष्ठ फिल्मी गीत की श्रेणी में दो ग्रैमी पुरस्कार मिले।[३]

प्रारंभिक जीवन
रहमान को संगीत अपने पिता से विरासत में मिला था। उनके पिता आरके शेखर मलयाली फ़िल्मों में संगीत देते थे। रहमान ने संगीत की आगे की शिक्षा मास्टर धनराज से प्राप्त की और मात्र ११ वर्ष की उम्र में अपने बचपन के मित्र शिवमणि के साथ रहमान बैंड रुट्स के लिए की-बोर्ड (सिंथेसाइजर) बजाने का कार्य करते। वे इलियाराजा के बैंड के लिए काम करते थे। रहमान को ही श्रेय जाता है चेन्नाई के बैंड "नेमेसिस एवेन्यू" की स्थापना के लिए। वे की-बोर्ड, पियानो, हारमोनियम और गिटार सभी बजाते थे। वे सिंथेसाइजर को कला और टेक्नोलॉजी का अद्भुत संगम मानते हैं। रहमान जब नौ साल के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी और पैसों के लिए घरवालों को वाद्य यंत्रों को भी बेचना पड़ा। हालात इतने बिगड़ गए कि उनके परिवार को इस्लाम अपनाना पड़ा। बैंड ग्रुप में काम करते हुए ही उन्हें लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ म्यूजिक से स्कॉलरशिप भी मिली, जहाँ से उन्होंने पश्चिमी शास्त्रीय संगीत में डिग्री हासिल की।[४] ए आर रहमान की पत्नी का नाम सायरा बानो है। उनके तीन बच्चे हैं- खदीजा, रहीम और अमन। वे दक्षिण भारतीय अभिनेता राशिन रहमान के रिश्तेदार भी है। रहमान संगीतकार जी वी प्रकाश कुमार के चाचा हैं।


अल्लाह रक्खा रहमान१९९१ में रहमान ने अपना खुद का म्यूजिक रिकॉर्ड करना शुरु किया। १९९२ में उन्हें फिल्म डायरेक्टर मणिरत्नम ने अपनी फिल्म रोजा में संगीत देने का न्यौता दिया। फिल्म म्यूजिकल हिट रही और पहली फिल्म से ही रहमान ने फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार भी जीता। इस पुरस्कार के साथ शुरू हुआ रहमान की जीत का सिलसिला आज तक जारी है। रहमान के गानों की २०० करोड़ से भी अधिक रिकॉर्डिग बिक चुकी हैं। आज वे विश्व के टॉप टेन म्यूजिक कंपोजर्स में गिने जाते हैं। उन्होंने तहजीब, बॉम्बे, दिल से, रंगीला, ताल, जींस, पुकार, फिजा, लगान, मंगल पांडे, स्वदेश, रंग दे बसंती, जोधा-अकबर, जाने तू या जाने ना, युवराज, स्लम डॉग मिलेनियर, गजनी जैसी फिल्मों में संगीत दिया है। उन्होंने देश की आजादी की ५०वीं वर्षगाँठ पर १९९७ में "वंदे मातरम्‌" एलबम बनाया, जो जबर्दस्त सफल रहा। भारत बाला के निर्देशन में बना एलबम "जन गण मन", जिसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत से जुड़ी कई नामी हस्तियों ने सहयोग दिया उनका एक और महत्वपूर्ण काम था। उन्होंने स्वयं कई विज्ञापनों के जिंगल लिखे और उनका संगीत तैयार किया। उन्होंने जाने-माने कोरियोग्राफर प्रभुदेवा और शोभना के साथ मिलकर तमिल सिनेमा के डांसरों का ट्रुप बनाया, जिसने माइकल जैक्सन के साथ मिलकर स्टेज कार्यक्रम दिए।

सम्मान और पुरस्कार
संगीत में अभूतपूर्व योगदान के लिए १९९५ में मॉरीशस नेशनल अवॉर्ड्स, मलेशियन अवॉर्ड्स।
फर्स्ट वेस्ट एंड प्रोडक्शन के लिए लारेंस ऑलीवर अवॉर्ड्स।
चार बार संगीत के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता।
२००० में पद्मश्री से सम्मानित।
मध्यप्रदेश सरकार का लता मंगेशकर अवॉर्ड्स।
छः बार तमिलनाडु स्टेट फिल्म अवॉर्ड विजेता।
११ बार फिल्म फेयर और फिल्म फेयर साउथ अवॉर्ड विजेता।
विश्व संगीत में योगदान के लिए २००६ में स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से सम्मानित।
२००९ में फ़िल्म स्लम डॉग मिलेनियर के लिए गोल्डेन ग्लोब पुरस्कार।
ब्रिटिश भारतीय फिल्म स्लम डॉग मिलेनियर में उनके संगीत के लिए ऑस्कर पुरस्कार।
२००९ के लिये २ ग्रैमी पुरस्कार, स्लम डॉग मिलेनियर के गीत जय हो.... के लिये: सर्वश्रेष्ठ साउंडट्रैक व सर्वश्रेष्ठ फिल्मी गीत के लिये।

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